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धमतरी, 18 सितंबर (हि.स.)।निर्माणी श्रमिकों और कारीगरों के आराध्य देव भगवान विश्वकर्मा की जयंती उत्साह और उमंग के साथ मनाई गई। पर्व को लेकर उत्साह का माहौल रहा। शहर व गांव के अलग-अलग स्थानों पर भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति स्थापित कर पूजा की गई। पर्व के दूसरे दिन 18 सितंबर को विधि-विधान से भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति का नदी, तालाबों में विसर्जन किया गया। इस अवसर पर काफी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।
विश्वकर्मा जयंती के दूसरे दिन शहर से लेकर गांव तक भजन-कीर्तन, भंडारे का कार्यक्रम हुआ। हवन पूजन के बाद मूर्ति विसर्जन के लिए धमतरी के अलावा आसपास के गांव व अन्य जिलों से लोग मूर्ति विसर्जन के लिए महानदी पहुंचे। ग्राम पंचायत देमार स्थित ओम इंजीनियरिंग वर्क्स शाप व राजमिस्त्री संघ द्वारा ग्राम पंचायत देमार के महामाया मंदिर परिसर में भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति स्थापित की गई। विधि विधान से मूर्ति स्थापना के बाद पूजा अर्चना की गई। अंत में सभी को प्रसाद का वितरण किया गया। 18 सितंबर को विधि-विधान से भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति का विसर्जन किया गया। इस अवसर पर स अवसर पर संचालक संतोष सिन्हा, रामू टर्नर, महेंद्र सिन्हा, केशु यादव, युवराज साहू, ओमप्रकाश सिन्हा, सीताराम सिन्हा, दीपक, चमन सिन्हा, गोविंद यादव, अमेश सिन्हा, मोंटू यादव, सुरेश ध्रुव, पवन साहू, नेतराम सिन्हा, संतोष पटेल, सूरज सिन्हा, पवन पेंटर सहित अन्य मौजूद रहे। ग्रामीणों ने भगवान विश्वकर्मा के जयकारे लगाए। राज मिस्त्री संघ द्वारा मकई चौक के पास पूजा-अर्चना की गई।
कल कारखानों में की जाती है मशीनों की विशेष पूजा
मालूम हो कि इस दिन कल कारखानों में मशीनों की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन विश्वकर्मा भगवान की पूजा कर उनसे कारोबार में उन्नति का वरदान मांगा जाता है। दरअसल, भगवान विश्वकर्मा को दुनिया का पहला इंजीनियर और वास्तुकार माना जाता है और यही वजह है कि विश्वकर्मा पूजा के दिन उद्योगों और फेक्ट्रियों में मशीनों की पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में विश्वकर्मा को निर्माण एवं सृजन का देवता माना जाता है। मान्यता है कि सोने की लंका का निर्माण उन्होंने ही किया था।
हिन्दुस्थान समाचार / रोशन सिन्हा