राष्ट्रीय लोक अदालत एवं उपभोक्ता जागरूकता कार्यक्रम आयोजित
गुवाहाटी, 16 सितंबर (हि.स.)। असम राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग एवं जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, कामरूप ने संयुक्त रूप से हाउसफेड कॉम्प्लेक्स में राज्य आयोग के कार्यालय परिसर में राष्ट्रीय लोक अदालत एवं लोक अदालत पर उपभोक्ता जागरूकता कार्यक्रम
गुवाहाटी: यहां आयोजित लोक अदालत एवं उपभोक्ता जागरण कार्यक्रम का दृश्य।


गुवाहाटी, 16 सितंबर (हि.स.)। असम राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग एवं जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, कामरूप ने संयुक्त रूप से हाउसफेड कॉम्प्लेक्स में राज्य आयोग के कार्यालय परिसर में राष्ट्रीय लोक अदालत एवं लोक अदालत पर उपभोक्ता जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया।

जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के सूत्रों ने आज बताया है कि जागरुकता कार्यक्रम गत 14 सितंबर को आयोजित किया गया था। जिसमें न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) प्रशांत कुमार डेका, अध्यक्ष, असम राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, सुशील कुमार सरमा, सोनेका बोरा, तापस, कुमार घोष, राज्य आयोग के सदस्य; जमातुल इस्ला, पूर्व सदस्य, जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, कामरूप; राजू गोस्वामी, अधिवक्ता, गुवाहाटी उच्च न्यायालय; अजय हजारिका, अधिवक्ता, गुवाहाटी उच्च न्यायालय एवं सचिव, उपभोक्ता कानूनी संरक्षण मंच, असम; राजेश कुमार भातरा, अधिवक्ता, गुवाहाटी उच्च न्यायालय; पोरी बर्मन, अधिवक्ता, गुवाहाटी उच्च न्यायालय; गौहाटी उच्च न्यायालय की अधिवक्ता डॉ. शहनाज़ रहमान, गौहाटी उच्च न्यायालय की अधिवक्ता डॉ. निकिता बरुवा, गौहाटी उच्च न्यायालय की अधिवक्ता मृदुस्मिता बोरा, एसीएस, प्रशासनिक अधिकारी-सह-रजिस्ट्रार सहित विभिन्न बैंकों और बीमा कंपनी के अधिकारी एवं कर्मचारी, विभिन्न कॉलेज, विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं, हाउसफेड परिसर के विभिन्न कार्यालयों के अधिकारी, कर्मचारी उपस्थित रहे।

कार्यक्रम के वक्ताओं ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 और अधिनियम के तहत उपभोक्ता के अधिकारों तथा उक्त अधिनियम के तहत विवाद निवारण आयोग पर अपना बहुमूल्य भाषण दिया। जागरूकता कार्यक्रम के तुरंत बाद राज्य आयोग के कार्यालय परिसर में लोक अदालत का आयोजन किया गया। उक्त लोक अदालत में कुछ मामलों का निपटारा किया गया। उक्त लोक अदालत में राजेश कुमार भट्ट, गौहाटी उच्च न्यायालय की अधिवक्ता डॉ. निकिता बरुवा मध्यस्थ थीं। जबकि, सोनेका बोरा, सुशील कुमार शर्मा, टूटूमोनी देव गोस्वामी और तपस कुमार घोष सदस्य थे।

उक्त लोक अदालत में मामलों के निपटारे के अलावा, राज्य आयोग बीमा कंपनी, बैंक, वित्तीय संस्थानों की ओर से सेवाओं में कमी, अस्पताल, डॉक्टरों की ओर से सेवा में कमी और लापरवाही के लिए उपभोक्ताओं के पक्ष में योग्यता के आधार पर विभिन्न निर्णय सुनाता जाता रहा है।

हिन्दुस्थान समाचार / श्रीप्रकाश