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— आईआईटी कानपुर और हेस्को के बीच हुआ समझौता ज्ञापन
कानपुर, 22 अगस्त (हि.स.)। पूरी दुनिया में सबसे बड़ी समस्या ये है कि जहां इकोलॉजी पनपती है वहां इकोनॉमी नहीं होती, जहां इकोनॉमी पनपती है वहां इकोलॉजी नहीं होती। इससे अपना देश भी अछूता नहीं है। भारत के ग्रामीण क्षेत्र में इकोलॉजी पर्याप्त है पर इकोनॉमी कमजोर है, क्योंकि उनके जितने भी प्राकृतिक संसाधन या प्राथमिक कृषि उत्पाद होते हैं वे शहरों में मूल्यवृद्धि के लिए चले जाते हैं। ऐसे में आर्थिक विकास के साथ पारिस्थितिकी के बीच संतुलन होना बहुत जरुरी है और इस पर समाज को भी आगे आना चाहिये। यह बातें गुरुवार को कानपुर आईआईटी पहुंचे हेस्को के संस्थापक और पद्म भूषण डॉ. अनिल प्रकाश जोशी ने कही।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) ने अपने कोटक स्कूल ऑफ सस्टेनेबिलिटी में पद्म भूषण और पद्म श्री से सम्मानित डॉ. अनिल प्रकाश जोशी के व्याख्यान का आयोजन किया। प्रसिद्ध पर्यावरणविद् और हिमालयन एनवायरनमेंटल स्टडीज एंड कंजर्वेशन ऑर्गनाइजेशन (HESCO) के संस्थापक डॉ. जोशी ने 'पारिस्थितिकी के साथ आर्थिक विकास का संतुलन' शीर्षक पर व्याख्यान दिया। डॉ. जोशी ने वायु गुणवत्ता संकेतकों की निगरानी के लिए उन्नत प्रौद्योगिकियों पर उत्कृष्टता केंद्र और सेंटर ऑफ एक्सलन्स ऑन आर्टफिशल इन्टेलिजन्स फॉर सस्टेनेबल सिटीज के अन्वेषकों और शोधकर्ताओं के साथ बातचीत की। उन्होंने सम्भावित सहयोग के अवसरों पर चर्चा करने के लिए कोटक स्कूल ऑफ सस्टेनेबिलिटी के फैकल्टी और समन्वय समितियों के साथ भी बातचीत की। डॉ. जोशी ने सस्टेनेबल एनर्जी डिपार्ट्मन्ट में वृक्षारोपण अभियान में भाग लिया, जिसमें उनके साथ कोटक स्कूल ऑफ सस्टेनेबिलिटी के डीन प्रोफेसर एस एन त्रिपाठी और कर्मचारी संगठन, आईआईटी कानपुर के अध्यक्ष आर के दीक्षित भी शामिल थे, जहां कोटक स्कूल ऑफ सस्टेनेबिलिटी ने परिसर के स्कूलों और छात्र छात्रावासों में वृक्षारोपण के लिए विभिन्न प्रकार के 10 पौधे दान किए।
डॉ. जोशी ने सतत राष्ट्रीय विकास को प्राप्त करने के लिए शहरी और ग्रामीण आर्थिक प्रक्रियाओं के बीच संतुलन की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने शहरीकरण और संसाधन उपभोग से उत्पन्न चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक-दूसरे की ताकत का लाभ उठाते हुए शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच सहयोग के महत्व पर प्रकाश डाला। इस दौरान कोटक स्कूल ऑफ सस्टेनेबिलिटी आईआईटी कानपुर और हेस्को के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर भी किए गए। आईआईटी के निदेशक प्रो. मणीन्द्र अग्रवाल ने कहा कि डॉ. अनिल प्रकाश जोशी का स्वागत करने का सम्मान मिला है। आर्थिक विकास और पारिस्थितिकी संरक्षण के बीच संतुलन बनाने पर उनकी अंतर्दृष्टि अमूल्य है, क्योंकि हम अगली पीढ़ी के लीडरों को टिकाऊ प्रथाओं के बारे में शिक्षित करने का प्रयास कर रहे हैं। यह स्कूल द्वारा की जाने वाली कई पहलों के लिए एक आदर्श शुरुआत है।
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हिन्दुस्थान समाचार / अजय सिंह / विद्याकांत मिश्र