विधानसभा चुनाव को लेकर खूंटी और तोरपा क्षेत्र में बढ़ रही है नेताओं की सक्रियता
खूंटी, 26 जुलाई (हि.स.)। भले ही झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर अभी अधिसूचना भी जारी नहीं हुई हो, पर खूंटी जिले के दो विधानसभा क्षेत्रों खूंटी और तोरपा में राजनीतिक गतिविधि धीरे-धीरे तेज होती जा रही हैं। चुनावी अखाडे में दांव आजमाने वाले सभावित प्रत्या
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खूंटी, 26 जुलाई (हि.स.)। भले ही झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर अभी अधिसूचना भी जारी नहीं हुई हो, पर खूंटी जिले के दो विधानसभा क्षेत्रों खूंटी और तोरपा में राजनीतिक गतिविधि धीरे-धीरे तेज होती जा रही हैं। चुनावी अखाडे में दांव आजमाने वाले सभावित प्रत्याशी भी टिकट को लेकर गोटी सेट करने में लग गये हैं। इन दोनों विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा के साथ ही कांग्रेस और झामुमो के संभावित उम्मीदवार पार्टी के बड़े नेताओं से संपर्क साधने का प्रयास कर रहे हैं। साथ ही गांवों और शहर इलाकों में नेताओं के दौरों में भी तेजी नजर आ रही हैं।

लोकसभा चुनाव में खूंटी संसदीय सीट से इंडी गठबंधन के कांग्रेस प्रत्याशी कालीचरण मुंडा की बड़े अंतर से जीत के बाद कांग्रेस और झामुमो के कार्यकर्ताओं का उत्साह चरम पर है, तो अर्जुन मुंडा की करारी हार के बाद भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं में कुछ बहुत निराशा नजर आ रही है। विधानसभा चुनाव को लेकर बाजार में भी चर्चाओं का दौर जारी है। सबसे अधिक चर्चा इस बात को लेकर है कि चुनावी अखाड़े में कौन-कौन चेहरे नजर आ सकते हैं। हालांकि खूंटी विधानसभा क्षेत्र को भाजपा का गढ़ माना जाता है। राज्य के पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री और वर्तमान विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा पिछले पांच चुनावों से भाजपा का विजय पताका फहराते आ रहे हैं।

नीलकंठ सिंह मुंडा ने सबसे पहले 1999 में पहली बार बिहार विधानसभा के सदस्य चुने गये। झारखंड राज्य के गठन के बाद हुए सभी विधानसभा चुनावों में उन्होंने जीत हासिल की। 2004, 2009, 2014 और 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में नीलकंठ ने लगातार पांच बार जीत हासिल किया था। तोरपा विधानसभा सीट से वर्तमान विधायक ने भी तीन बार जीत हासिल की थी। कोचे मुंडा भी पहली बार 1999 में बिहार विधानसभा कें लिए चुने गये थे। कोचे मुंडा 2005 में पहली बार झारखंड विधानसभा के सदस्य चुने गये। 2009 और 2014 के चुनाव में झामुमो के पौलुस सुरीन ने उन्हें मात दे दी थी।

2019 के विधानसभा में झामुमो ने अपने सीटिंग एमएलए पौलुस सुरीन का टिकट काटकर सुदीप गुड़िया को मैदान में उतारा। टिकट कटने से नाराज पौलुस सुरीन ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा और लगभग 19 हजार वोट लाकर झामुमो के खेल को बिगाड़ दिया। उस चुनाव में भाजपा के कोचे मुंडा ने सुदीप गुड़िया को लगभग दस हजार मतों के अंतर से पराजित कर दिया।

भाजपा टिकट के दावेदारों की लंबी सूची

तोरपा विधानसभा सीट से भाजपा के टिकट के दावेदारों की सूची लंबी है। वर्तमान विधायक कोचे मुंडा तो स्वाभाविक रूप से टिकट के दावेदार हैं, तो भाजपा रनिया मंडल कें अध्यक्ष निखिल कंडुलना, बानो के सामाजिक कार्यकर्ता और पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता अजीत टोपनो, परिवहन विभाग के सेवानिवृत्त संयुक्त सचिव और हाल ही में भाजपा में शाामिल होनेवाले ब्रजेंद्र हेमरोम के अलावा बानो के शिवराज बड़ाईक भी टिकट के लिए हाथ-पांव मार रहे हैं।

लोकसभा चुनाव में नीलकंठ पर भाई के समर्थन, तो कोचे पर लगा था निष्क्रियता का आरोप

इस वर्ष हुए लोकसभा चुनाव के दौरान खूंटी के विधायक और भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष पर पार्टी प्रत्याशी अर्जुन मंडा के खिलाफ और अपने सगे भाई कालीचरण मुंडा(वर्तमान सांसद) कें पक्ष में काम करने का आरोप लगा था, वहीं तोरपा के विधायक कोचे मुंडा पर चुनाव के दौरान निष्क्रिय रहने का आरोप लगा था। ज्ञात हो कि अर्जुन मुंडा को लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी कालीचरण मुंडा से लगभग डेढ़ लाच मतों के अंतर से मात खा गये थे।

हिन्दुस्थान समाचार / अनिल मिश्रा / शारदा वन्दना