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गुवाहाटी, 02 जुलाई (हि.स.)। मुख्यमंत्री डॉ हिमंत बिस्व सरमा ने कहा है कि असम में एक विशेष संप्रदाय के लोग सुनियोजित तरीके से हमले कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने मंगलवार को सोशल मीडिया के जरिए एक वीडियो संदेश जारी कर कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद से राज्य में सुनियोजित तरीके से हमले किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने राज्य की जनता को आगाह किया कि यदि इस संप्रदाय के लोगों की संख्या इसी प्रकार बढ़ती रही तो आने वाले समय में यहां अन्य संप्रदाय के लोग रह नहीं सकेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राजनीतिक दृष्टिकोण से वे लोगों को इसके प्रति आगाह कर रहे हैं। आपराधिक दृष्टिकोण से सरकार अपने स्तर पर कार्रवाई कर रही है लेकिन लोगों को स्थिति की गंभीरता को समझनी चाहिए।
अपने संदेश में मुख्यमंत्री ने बीते दो-तीन दिनों में हुई कुछ घटनाओं का हवाला दिया। इनमें दो दिन पहले धुबड़ी जिले के असम-बांग्लादेश सीमा पर स्थित एक कोच राजवंशी बहुल गांव की चर्चा की। इस गांव के चारों ओर विशेष संप्रदाय के लोग रहते हैं। गांव में एक खेल का मैदान है। बीते कुछ दिनों से विशेष संप्रदाय के लोग दूसरे गांवों से आकर यहां शौक क्रिया कर रहे हैं। यह खबर मीडिया में भी नहीं आ रही है, क्योंकि मीडिया वाले डरते हैं कि यदि यह खबर बाहर गई तो गांव में उनका रहना मुश्किल हो जाएगा। गांव वाले भी इसी डर से शिकायत नहीं कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने राज्य के सरभोग की एक घटना का भी हवाला दिया। उन्होंने कहा कि परसों सरभोग में हिंदुओं का एक श्मशान चारों ओर से विशेष संप्रदाय के लोगों से घिरा हुआ है। स्थानीय लोग श्मशान में जाकर गेट बनाते हैं, जिसे रात को तोड़ दिया जाता है। इस घटना की बार-बार पुनरावृत्ति हो रही है।
मुख्यमंत्री ने कल दरांग जिला मुख्यालय मंगलदै में एक विशेष संप्रदाय के धर्म गुरु द्वारा दिए जा रहे उत्तेजक वक्तव्य का हवाला दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि धर्मगुरु धमकी दे रहे हैं कि वह 6 तारीख से लखीमपुर में जाकर रहेंगे। पुलिस को भी देख लेंगे, पुलिस क्या कर लेती है।
इसी क्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि ढेकियाजुली में लगातार विशेष संप्रदाय के लोगों द्वारा लड़कियों को निशाना बनाया जा रहा है। इस प्रकार की घटनाओं का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि इस संप्रदाय के लोग इसी प्रकार बढ़ते रहे तो आने वाले समय में स्थितियां क्या होंगी? इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
हिन्दुस्थान समाचार / श्रीप्रकाश/दधिबल