कई प्रान्तों में धूम मचाने वाली हमीरपुर की नागरा जूती उद्योग तोड़ रहा दम
आधुनिकता व महंगाई के दौर में भी इस जूती ने एमपी-राजस्थान में मचाई थी धूम हमीरपुर की हल्की नागरा जू
फोटो-01एचएएम- 11हमीरपुर की नागरा जूती उद्योग अब तोड़ रहा दम


आधुनिकता व महंगाई के दौर में भी इस जूती ने एमपी-राजस्थान में मचाई थी धूम

हमीरपुर की हल्की नागरा जूती पहनकर चलने पर निकलती है चर्र-चर्र की आवाज

हमीरपुर, 01 जुलाई (हि.स.)। हमीरपुर जिले में जूती उद्योग पर खतरे के बादल मंडराने लगे है। यहां की जूती की धूम बुंदेलखंड ही नहीं राजस्थान,दिल्ली,बिहार समेत कई राज्यों में भी है, लेकिन अफसोस सरकारी मदद न मिलने के कारण अब ये उद्योग बंदी के मुहाने पर आ गए हैं। भवन मालिक ने भी जूती उद्योग चलाने वालों से साफ तौर पर कह दिया है कि पूरा भवन जर्जर हो गया है लिहाजा दुकानें खाली की जाए। भवन मालिक के फरमान से जूती उद्योग के कारोबार से जुड़े लोगों में चिंताएं बढ़ गई है।

हमीरपुर शहर से करीब पन्द्रह किमी दूर सुमेरपुर कस्बे में पुलिस स्टेशन के पास पिछले कई दशकों से जूती बनाने का बड़े स्तर पर चल रहा है। एक दर्जन से अधिक दुकानों में चमड़े की जूती बनाई जाती है। जूती उद्योग में कई दर्जन लोग काम करते हैं। जूती उद्योग चलाने वाले सर्वेश वर्मा ने बताया कि यहां सुमेरपुर कस्बे में जूती उद्योग बहुत पुराना है। लेकिन इसे चमकाने के लिए शासन और प्रशासन ने कोई भी कदम नहीं उठाए है।

वंशगोपाल का कहना है कि यहां चमड़े की जूती बनाने का काम वर्ष 1952 में शुरू हुआ था। उस जमाने में आधा दर्जन से कम ही लोग इस कारोबार में लगे थे। बहुत ही हल्के वजन की यहां की जूती की लगातार डिमांड ग्रामीण इलाकों में बढ़ी है।

ढाई सौ से लेकर एक हजार रुपये कीमत में नागरा जूती मिलती है जो बड़ी ही टिकाऊ होती है। जूती उद्योग से जुड़े कारीगरों ने बताया कि यहां की नागरा जूतियां राजस्थान की कला से पूरी तरह प्रभावित नजर आती है। शुरू में सैकड़ों कारीगर चमड़े की नागरा जूतियां बनाकर अपना घर चलाते थे, लेकिन अब यह कारोबार मंद पड़ गया है। बताया कि जूतियां बनाने की प्रक्रिया भी बड़ी महंगी है। पहले चमड़े को तेल में डाला जाता है। कई प्रक्रिया के बाद एक शानदार जूती तैयार होती है। जूती बनाने वालों ने बताया कि यहां जूती उद्योग किराए के भवन में चल रहे हैं। मौजूदा में पूरा भवन जर्जर हो गया है। भवन मालिक ने भी दुकानें खाली करने को कहा है। जिससे दशकों पुराना जूती उद्योग बंदी के मुहाने आ गया है।

आधुनिकता व महंगाई के दौर में भी इस जूती ने एमपी-राजस्थान में मचाई थी धूम

जूती उद्योग से जुड़े सरमन, चन्द्रपाल, दशरथ, विजय व सर्वेश कुमार ने बताया कि यहां की जूती ने उत्तर प्रदेश के साथ ही मध्यप्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, बिहार, पंजाब तक पहुंच बनाई है। बताया कि कोरोना संक्रमण काल से पूर्व जूती उद्योग कुटीर की रूप ले चुका था, किन्तु अब ये बंदी के मुहाने पर आ गया है। बताया कि सुमेरपुर कस्बे में एक पुराने भवन में जूती उद्योग चल रहा है। जर्जर हो चुकी एक दर्जन से अधिक नागरा जूती की दुकानों को खाली करने का फरमान भी मकान मालिक ने दे दिया है।

हमीरपुर की हल्की नागरा जूती पहनकर चलने पर निकलती है चर्र-चर्र की आवाज

हमीरपुर जिले के सुमेरपुर कस्बे की बनी नागरा जूती पहनने में बड़ी ही आरामदायक है। इसका वजन भी बहुत कम होता है। जूती उद्योग चलाने वाले सर्वेश वर्मा समेत अन्य लोगों ने बताया कि सिकहुला, परछछ, उन्नाव, अमौली, फतेहपुर व बांदा से कारीगर काम करने आते हैं। कभी इस व्यवसाय से मोटा मुनाफा होता था, लेकिन अब इस कारोबार में पहले जैसी कमाई नहीं रही। बताया कि बहुत ही हल्की वजन की जूती पहनकर चलने से चर्र-चर्र की आवाज से लोग प्रभावित होते हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/पंकज/राजेश