कोटा की 500 बीघा वनभूमि पर सात हजार पेडों से छायी हरियाली
कोटा यूथ सोसायटी ने चार साल जमीनी मेहनत बना दिया-‘आनंद वन’ कोटा, 1 जुलाई (हि.स.)। शहर की कोटा यूथ सो
कोटा में झालावाड रोड पर विकसित कर दिया-‘आनंद वन’


कोटा यूथ सोसायटी ने चार साल जमीनी मेहनत बना दिया-‘आनंद वन’

कोटा, 1 जुलाई (हि.स.)। शहर की कोटा यूथ सोसायटी ने झालावाड रोड़ पर 500 बीघा पथरीली जमीन को हरियाली से आच्छादित करने का बीडा उठाया और चार साल से निरंतर पौधारोपण कर बंजर वनभूमि में सात हजार से अधिक हरे-भरे पेड़ विकसित कर ‘आनंद वन’ का सपना सच कर दिखाया।

सोसायटी के अध्यक्ष विकास सैनी ने बताया कि कोराना काल वर्ष 2020 में वन विभाग के उपवन संरक्षक रवि मीणा ने अनंतपुरा फोरलेन से आगे यह बंजर जमीन युवाओं को पौधे लगाकर हराभरा बनाने की अनुमति प्रदान की। सोसायटी के युवा सदस्यों ने अवकाश के दिन वहां जाकर वन विभाग के साथ मिलकर नीम, पीपल, बरगद, कदम, देशी बबूल, अर्जुन, छेल, जंगल जलेबी, खेजड़ी सहित उपयोगी किस्मों के सात हजार से अधिक पौधे लगाए, जो अब बडे़ होकर हरे-भरे पेड़ बन चुके हैं।

पथरीली भूमि में गढ्डे करना चुनौती-

सचिव पवन गुर्जर का कहना है कि युवा सदस्यों ने जब यहां पौधे लगाने के लिये गड्डे खोदना शुरू किया तो पथरीली जमीन होने से गड्ढे करना मुश्किल सा हो गया। डीएफओ रवि मीणा ने पर्यावरण हित में संस्था की समर्पित कार्यशैली देख वहां वन विभाग की ओर से गड्ढे खुदवाकर बाहर से मिट्टी डलवाई और पेड़ों की सुरक्षा के लिये चारों ओर चारदीवारी भी करवा दी।

अवकाश के दिन करते हैं श्रमदान-

कोषाध्यक्ष गगनदीप सिंह व सक्रिय सदस्य कुशाल जैन के अनुसार, संस्था के 30 युवा सदस्य बिजनेस या प्रोफेशन से जुडे हैं। अवकाश के दिन रविवार सुबह 7 से 10 बजे तक वे ‘आनंद वन’ जाकर अपने हाथों से नये गढ्डे खोदकर, पौधों की निराई-गुड़ाई और भीषण गर्मी में पानी पिलाने जैसा कार्य करते हैं। सदस्य कपिल सागित्रा, अंकेश शर्मा कहते हैं कि बंजर पथरीली भूमि पर पौधे लगाना बडी चुनौती थी। भीषण गर्मी में संस्था ने टैंकर द्वारा पानी देकर पौधों को बड़ा किया। गर्मी में 46 डिग्री तापमान पर पौधों को बचाने की जिद थी।

वन्य जीवों के लिए बनाया वाटर पॉइंट-

इस साल भीषण गर्मी में जंगल में सभी प्राकृतिक स्त्रोत सूख चुके थे। सदस्य अनिल शर्मा व लोकेश कुमार ने बताया कि वन्य जीवों के लिये संस्था ने 70 हजार की लागत से पानी का खुला टैंक बनाया, जो यहां विचरण करने वाले हिरण, नीलगाय, गाय, गिलहरी, कौए, चिडिया आदि वन्यजीवों व पक्षियों के लिए वरदान साबित हुआ। यहां पानी की खेल बनानेे की योजना है। कुशाल जैन ने बताया कि आनंद वन से दो बड़े नाले निकल रहे है, जहां बरसाती पानी और मिट्टी बहकर आती है। यदि वन विभाग वहां दो-तीन छोटे एनीकट बनवा दे तो बरसाती पानी रूकेगा और भूजल स्तर बढ जायेगा। इससे पौधों के साथ वन्य जीवों को भी वर्षपर्यंत पेयजल मिलता रहेगा।

पथरीली भूमि को हरा-भरा करने की जिद-

सोसायटी के युवा सदस्य पर्यावरण संरक्षण के लिये शहर में निरंतर नये पौधे लगा रहे हैं। उनका एकमात्र उद्देश्य है- पथरीली भूमि को हराभरा करना। उनका कहना कि इस वर्ष ग्लोबल वार्मिंग से कई देशों में तापमान 48 से 52 डिग्री तक पहुंच गया था। सभी संस्थायें शहर में एक उपेक्षित क्षेत्र चुनें और उसमें निरंतर मेहनत कर पौधारोपण करें। अवकाश के दिन श्रमदान कर उन्हें विकसित करने का बीड़ा उठायें।

हिन्दुस्थान समाचार/अरविंद/ईश्वर