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जम्मू, 1 जुलाई (हि.स.)। सोमवार को अभाविप ने कहा कि किसी भी शैक्षणिक संस्थान में नए पाठ्यक्रम शुरू करना छात्र समुदाय के कल्याण और विकास के लिए सर्वोपरि है। हालांकि, यह प्रगति अन्य महत्वपूर्ण पाठ्यक्रमों की कीमत पर नहीं होनी चाहिए। जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति ने विज्ञान के कई नए पाठ्यक्रम शुरू किए हैं, जिसकी हम सराहना करते हैं, लेकिन सामाजिक विज्ञान पृष्ठभूमि के छात्रों के लिए पाठ्यक्रमों की उपेक्षा को देखना चिंताजनक है। विधि विभाग, जिसे पहले ही स्वीकृत पद मिल चुके थे, को बेवजह समाप्त कर दिया गया है और उसकी जगह इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम शुरू कर दिए गए हैं। इसके अलावा, एमए अर्थशास्त्र पाठ्यक्रम को इसके महत्व के बावजूद बंद कर दिया गया है।
संगठन की तरफ से आगे कहा गया कि छात्रों ने स्थानीय छात्र आबादी को लाभ पहुंचाने के लिए इतिहास, राजनीति विज्ञान, भूगोल और शारीरिक शिक्षा जैसे पाठ्यक्रम शुरू करने की लगातार मांग की है। अफसोस की बात है कि विश्वविद्यालय प्रशासन की कार्रवाई इन वैध मांगों की अनदेखी करती दिख रही है, जिससे कई छात्रों के हितों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। विज्ञान के नए पाठ्यक्रम शुरू करने से, हालांकि लाभ हुआ है, लेकिन इसने सामाजिक विज्ञान और कला पृष्ठभूमि के कई स्थानीय छात्रों को गंभीर संकट में डाल दिया है, जो प्रवेश के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यह स्थिति न केवल दुर्भाग्यपूर्ण है, बल्कि इन छात्रों के भविष्य के लिए भी हानिकारक है।
अभाविप की केंद्रीय विश्वविद्यालय जम्मू इकाई ने मांग की है कि संतुलित और समावेशी शैक्षणिक माहौल सुनिश्चित करने के लिए विश्वविद्यालय को बिना देरी किए सामाजिक विज्ञान और अन्य स्वीकृत पाठ्यक्रमों को बहाल करना चाहिए। जबकि हम विज्ञान पाठ्यक्रमों की शुरूआत का स्वागत करते हैं, लेकिन विविध शैक्षिक पृष्ठभूमि से आने वाले छात्रों की एक बड़ी संख्या को नजरअंदाज करना अस्वीकार्य है।
हिन्दुस्थान समाचार/राहुल/बलवान