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काठमांडू, 30 जून (हि.स.)। नेपाल का सत्तारूढ़ गठबन्धन टूट के कगार पर पहुंच गया है। सत्तापक्ष के नेताओं के बीच बढ़ती दूरी और विपक्षी दल के साथ बढ़ती नजदीकी इस बात का प्रमाण है।
सत्तापक्ष के सबसे बडे़ दल नेकपा एमाले के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली और प्रमुख विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेरबहादुर देउवा के बीच हुई मुलाकात ने नेपाल की राजनीति में भूचाल ला दिया है। सत्तारूढ़ गठबन्धन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में बतौर प्रमुख अतिथि के रूप में आमंत्रित केपी शर्मा ओली ने बहिष्कार कर दिया जबकि इसी कार्यक्रम में सहभागी होने के लिए प्रचण्ड अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम को बीच में छोड़कर चितवन से काठमांडू लौट आए। सत्तापक्ष के बाकी नेता भी उस कार्यक्रम में सहभागी हुए लेकिन ओली इस कार्यक्रम से नदारद रहे।
दरअसल, जिस समय सत्ता पक्ष का यह कार्यक्रम चल रहा था उसी समय ओली अपने निवास पर प्रमुख प्रतिपक्षी नेता देउवा के साथ तीन घंटे तक बैठक की। अपने सांसद पत्नी आरजू राणा को लेकर ओली से मिलने पहुंचे देउवा ने ओली के समक्ष प्रधानमंत्री पद का प्रस्ताव रखा। इस बैठक के बारे में नेपाली कांग्रेस के प्रमुख सचेतक रमेश लेखक ने बताया कि बदलती हुई राजनीतिक परिस्थिति में दोनों शीर्ष नेताओं की मुलाकात राजनीतिक स्थिरता को लेकर है। उन्होंने यह भी बताया कि देउवा के प्रस्ताव पर ओली सकारात्मक दिखे।
ओली और देउवा की मुलाकात के बाद सत्ता गठबन्धन में खलबली मच गई है। पीएम पुष्पकमल दाहाल प्रचण्ड ने तुरन्त ओली को बुलावा भेजा एवं मुलाकात को लेकर जिज्ञासा व्यक्त की। बताया जाता है कि ओली ने प्रचण्ड को मार्ग प्रशस्त करने के लिए अल्टिमेटम दिया है। एमाले के सांसद गोकुल बास्कोटा ने कहा कि अब माओवादी के साथ आगे बढ़ना मुश्किल हो रहा है, इसलिए दोनों प्रमुख दलों को मिलकर देश में राजनैतिक स्थिरता कायम करनी चाहिए।
हिन्दुस्थान समाचार/ पंकज दास/प्रभात