Enter your Email Address to subscribe to our newsletters
- आंतरिक संरचना की जानकारी से खगोल भौतिकी और संबंधित क्षेत्रों पर स्थायी प्रभाव पड़ेगा
कानपुर, 14 जून (हि.स.)। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर, अंतर-विश्वविद्यालय खगोल विज्ञान एवं खगोल भौतिकी केंद्र (आईयूसीएए) पुणे और अशोका विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की एक टीम भारत की पहली खगोलीय वेधशाला एस्ट्रोसैट पर शोध कार्य कर रही है। टीम को एस्ट्रोसैट के जरिए न्यूट्रान तारों की आतंरिक संरचना पर ऐसी जानकारी प्राप्त हुई जो भौतिकी के मौलिक सिद्धांतों की खोज के लिए नए रास्ते खोलेगी। ब्रह्मांड में सबसे सघन पिंडों में से कुछ न्यूट्रॉन तारों की आंतरिक संरचना के बारे में जो शोध के जरिए नई जानकारी मिली है उसका प्रकाशन अंतरराष्ट्रीय एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में भी हुआ है।
न्यूट्रॉन तारे विशाल तारों के ढहे हुए कोर से बनते हैं और सूर्य के द्रव्यमान से भी अधिक द्रव्यमान को मात्र 10 किलोमीटर चौड़े गोले में समेट लेते हैं। यह अत्यधिक घनत्व एक शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र बनाता है और तारे के भीतर दबाव और घनत्व के बीच संबंध को जटिल, अनसुलझे, समीकरण की ओर ले जाता है। शोध दल ने भारतीय इंजीनियरिंग के घरेलू स्तर पर विकसित एवं उन्नत एस्ट्रोसैट के एलएएक्सपीसी उपकरण से प्राप्त डेटा का उपयोग बाइनरी स्टार सिस्टम 4यू 1728-34 द्वारा उत्सर्जित एक्स-रे का अध्ययन करने के लिए किया। इस सिस्टम में एक न्यूट्रॉन तारा शामिल है जो एक साथी तारे से पदार्थ को एकत्रित करता है।
शोधकर्ताओं ने बाइनरी स्टार सिस्टम 4यू 1728-34 से एक्स-रे डेटा का विश्लेषण किया और कई ऐसे मामले पाए जिनमें क्यूपीओ ट्रिपल देखे गए। उन्होंने पाया कि इन क्यूपीओ ट्रिपल की आवृत्तियां स्थिर नहीं रहती हैं, बल्कि वे समय के साथ लगातार विकसित होती हैं, एक दूसरे के साथ एक विशिष्ट संबंध बनाए रखती हैं। इस संबंध का उपयोग करते हुए उन्होंने पाया कि देखे गए क्यूपीओ को आइंस्टीन के सापेक्षता के सामान्य सिद्धांत (जीटीआर) के जरिए भविष्यवाणी किए गए तीन दोलनों के संदर्भ में सबसे अच्छी तरह से व्याख्या किया जाता है, यानी, कक्षीय गति, पेरिहेलियन का पूर्वगमन और लेंस-थिरिंग पूर्वगमन। इसके अलावा उन्होंने पाया कि देखे गए संबंध का न्यूट्रॉन तारे के द्रव्यमान, जड़त्व आघूर्ण और अवस्था समीकरण पर संवेदनशील निर्भरता है। इसलिए इसका उपयोग इन मापदंडों की अधिक विस्तार से जांच करने के लिए किया जा सकता है, जो पहले संभव नहीं था।
आईआईटी कानपुर में एसपीएएसई विभाग के प्रमुख पंकज जैन ने शुक्रवार को बताया कि यह खोज न्यूट्रॉन तारों के बारे में हमारी समझ को आगे बढ़ाती है और इक्स्ट्रीम एनविरोमेन्ट में भौतिकी के मौलिक सिद्धांतों की खोज के लिए नए रास्ते भी खोलती है। इस अध्ययन से प्राप्त अंतर्दृष्टि का खगोल भौतिकी और संबंधित क्षेत्रों पर स्थायी प्रभाव पड़ेगा। यह अध्ययन इन आकर्षक खगोलीय पिंडों और ब्रह्मांड को नियंत्रित करने वाले मौलिक नियमों की गहन समझ का मार्ग प्रशस्त करता है।
हिन्दुस्थान समाचार/अजय/दीपक/पवन