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हरिद्वार, 03 मई (हि.स.)। पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन और एसआरएम सेंटर फॉर क्लिनिकल ट्रायल्स एंड रिसर्च चेन्नई के बीच आयुर्वेदिक औषधियों के लिए क्लीनिकल ट्रायल अध्ययन के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए हैं। इस अवसर पर पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन की ओर से पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण और पतंजलि अनुसंधान संस्थान के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. अनुराग वार्ष्णेय तथा एसआरएम सेण्टर फॉर क्लिनिकल ट्रायल्स एंड रिसर्च चेन्नई की ओर से डॉ. नितिन एम. नागरकर, डॉ. सत्यजीत महापात्र एवं डॉ. सरस्वती त्रिपाठी उपस्थित रहे।
समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के अवसर पर आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि यह समझौता आयुर्वेद के इतिहास में मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने कहा कि यह संयुक्त प्रयास आयुर्वेद के पुनरुत्थान में अहम भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि यह संयुक्त प्रयास भारतीय सनातन ज्ञान पर आधारित आयुर्वेद से निर्मित साक्ष्य आधारित औषधियों को क्लिनिकल ट्रायल्स के माध्यम से विश्वपटल पर लाने में अहम भूमिका निभाएगा। भारत के यह दो प्रमुख संस्थान आयुर्वेदिक औषधियों की ऐफिकैसी को दुनिया के सामने प्रस्तुत करेंगे।
डॉ. नितिन एम. नागरकर ने हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि यह समझौता भारतीय पुरातन चिकित्सकीय विज्ञान, आयुर्वेद को वैश्विक स्तर पर मान्यता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा।
इस अवसर पर क्लीनिकल अनुसंधान के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. वाईके गुप्ता एवं डॉ. अनुराग श्रीवास्तव भी उपस्थित रहे। उन्होंने दोनों संस्थानों को साथ मिलकर आगे बढ़ने के लिए मंगलकामनाएं दी।
पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन के प्रमुख डॉ. अनुराग वार्ष्णेय ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इस समझौता ज्ञापन की मदद से दोनों संस्थान साथ मिलकर आयुर्वेदिक औषधियों की प्रभावशीलता को साक्ष्य आधारित रूप से विश्व के समक्ष प्रस्तुत कर विविध रोगों में उनकी उपयोगिता को सिद्ध करेंगे।
हिन्दुस्थान समाचार/रजनीकांत/वीरेन्द्र