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कानपुर, 28 मई (हि.स.)। बदलते समय के साथ, सही अर्थों में आत्मनिर्भर भारत बनने के लिए रक्षा क्षेत्र में प्रौद्योगिकी की उन्नति की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक है। यह बात मंगलवार को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के सहयोग से डीआरडीओ—उद्योग—अकादमिया उत्कृष्टता केंद्र के उद्घाटन के मौके पर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर के निदेशक प्रो. मनिन्द्र अग्रवाल ने कहा।
उन्होंने कहा कि इसके लिए डीआरडीओ, शिक्षा जगत और उद्योग जगत को मिलकर काम करना होगा। डीआरडीओ द्वारा उद्योग अकादमिक उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना इस दिशा में एक उपयुक्त कदम है। लचीले इलेक्ट्रॉनिक्स, नैनोमेटेरियल्स, सामग्री विज्ञान और इंजीनियरिंग, उच्च ऊर्जा और बायोइंजीनियरिंग में मजबूत अनुसंधान एवं विकास विशेषज्ञता और अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ, आईआईटी कानपुर इस सहयोगात्मक प्रयास में योगदान देने के लिए तैयार है।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी कामत ने कहा, “यह केंद्र लंबी अवधि में विभिन्न महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के स्वदेशीकरण का मार्ग प्रशस्त करेगा, जिससे रक्षा क्षेत्र आत्मनिर्भर और टिकाऊ बनेगा। इससे भविष्य की रक्षा प्रणालियों के लिए नई सामग्रियों के विकास में तेजी आएगी, जिसमें अन्यथा 10-15 साल लग सकते थे। डीआरडीओ और आईआईटी कानपुर रक्षा क्षेत्र की दीर्घकालिक जरूरतों को पूरा करने के लिए पहचाने गए प्रौद्योगिकी डोमेन में सहयोगात्मक अनुसंधान करेंगे।
डीआरडीओ के प्रौद्योगिकी प्रबंधन महानिदेशक डॉ. सुब्रत रक्षित ने कहा कि 15 शैक्षणिक संस्थानों में स्थापित डीआईए सीओई रक्षा क्षेत्र की भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए अनुसंधान एवं विकास केंद्र के रूप में काम करेंगे। ये केंद्र डीआरडीओ वैज्ञानिकों के डोमेन ज्ञान, हमारे प्रीमियम शैक्षणिक संस्थानों में निहित अनुसंधान क्षमताओं और उभरती घरेलू रक्षा प्रौद्योगिकियों के व्यवसायीकरण के लिए हमारे उद्योगों के अभियान के साथ तालमेल बिठाने का काम करेंगे। आज का यह उद्घाटन और पहली गवर्निंग काउंसिल की बैठक इस यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
आईआईटी कानपुर के डीन (आरएंडडी) प्रोफेसर तरूण गुप्ता ने इस मौके पर कहा पिछले कुछ वर्षों में आईआईटी कानपुर ने खुद को उद्योग और सरकारी संस्थाओं दोनों के लिए प्रौद्योगिकी विकास, उनको उत्पाद के परिवर्तित करने और तकनीकी हस्तांतरण में एक अग्रणी संस्थान के रूप में स्थापित किया है। आईआईटी कानपुर में डीआईए सीओई का उद्घाटन एक बहुत बड़ा कदम है और यह देश में रक्षा प्रयोगशालाओं के साथ मूल्यवान सहयोग को बढ़ावा देगा और आईआईटीके को महत्वपूर्ण रूप से मूल्यवान उपकरणों को विकसित करने में सहयोग प्रदान करने में सक्षम करेगा। यह विकसित भारत की दिशा में हमारे मार्ग को मजबूत करने वाला कदम है!”
डीएफटीएम, डीआरडीओ के निदेशक डॉ. एन रंजना ने कहा, “रक्षा प्रौद्योगिकी में दीर्घकालिक अनुसंधान त्वरित समाधान के बारे में नहीं है, बल्कि ये भविष्य की सुरक्षा के लिए बीज बोने के संदर्भ में है। यह उन प्रगतियों में निवेश करने के बारे में है जो भविष्य के लिए महत्वपूर्ण निवारक और जीवनरक्षक उपकरण हो सकते हैं।
हिन्दुस्थान समाचार/राम बहादुर/बृजनंदन