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अयोध्या, 10 अप्रैल (हि.स.)। स्वर्णाक्षरों से लिखने की बात केवल मुहावरा नहीं रही, इसे असलियत बनाकर दिखाया है। यह एक पूर्व आईएएस अधिकारी और उनकी धर्मपत्नी ने कर दिखाया है। इनके अथक प्रयास से ताम्रपत्र पर उकेरे सोने के अक्षरों वाली रामायण को श्रीराम लला के साथ गर्भगृह में रखा गया है। इस तरह जन्मदिन पर राम लला को मिलने वाले उपहारों में एक और अनुपम नगीना जुड़ गया है। यह जानकारी श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के महामंत्री चंपत राय ने दी है।
उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश कैडर के पूर्व आईएएस अधिकारी सुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायणन और उनकी पत्नी सरस्वती काफी दिनों से स्वर्णाक्षरों वाली रामायण की तैयारी कर रहे थे, साथ ही उसको राम लला के पास रामनवमी से पहले पहुंचाने के प्रयास में लगे थे।
उन्होंने बताया कि इस संबंध में कई बार श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पदाधिकारियों और अन्य संबंधित लोगों से मुलाकात कर चुके थे। उनका आग्रह था कि नवरात्र के प्रथम दिन रामायण गर्भगृह में पहुंच जाय। आखिरकार उनका निवेदन स्वीकार हुआ और 25-25 पन्नों की अलग-अलग पैकिंग में भारी भरकम ताम्रपत्र पर सोने से लिखा यह डेढ़ कुंटल वजनी धातु ग्रंथ राममंदिर पहुंचाया गया और वहीं नवरात्र की पूर्व रात्रि में बाइंडिग की गई और पूर्व निर्धारित समय पर गर्भगृह में स्थापित किया गया। उन्होंने बताया कि अब श्रद्धालुओं को सोने की इस अद्वितीय रामायण का भी दर्शन प्राप्त हो रहा है।
हिन्दुस्थान समाचार/पवन पाण्डेय/राजेश