गुजरात के 13 जिलों में भेड़ियों की संख्या 222, सबसे अधिक 80 भेड़िये भावनगर जिले में 
- ‘गीर’ फाउंडेशन के अध्ययन के अनुसार वर्तमान में राज्य के 13 जिलों में कुल 2,217.66 वर्ग किमी क्षेत्र में है भेड़ियों का निवास स्थान अहमदाबाद, 30 दिसंबर (हि.स.)। गुजरात अपनी समृद्धि जैव विविधता के कारण देशभर में जाना जाता है। राज्य सरकार ने हमेशा वन
भेड़िया


- ‘गीर’ फाउंडेशन के अध्ययन के अनुसार वर्तमान में राज्य के 13 जिलों में कुल 2,217.66 वर्ग किमी क्षेत्र में है भेड़ियों का निवास स्थान

अहमदाबाद, 30 दिसंबर (हि.स.)। गुजरात अपनी समृद्धि जैव विविधता के कारण देशभर में जाना जाता है। राज्य सरकार ने हमेशा वन्यजीवों और समूची प्राणी सृष्टि की फिक्र कर उनके संरक्षण के लिए अनेक प्रयास किए हैं। राज्य के जंगलों में अत्यंत दुर्लभ और संवेदनशील प्राणी देखने को मिलते हैं, जिनमें भारतीय भेड़िया भी शामिल है। गुजरात में भेड़ियों के संरक्षण के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में विभिन्न संरक्षण संबंधित गतिविधियां क्रियान्वित की गई हैं, जिससे प्रकृति प्रेमियों में खुशी का माहौल है।

वन एवं पर्यावरण मंत्री मुळुभाई बेरा और राज्यमंत्री मुकेशभाई पटेल के मार्गदर्शन में ये पहलें और अधिक सुदृढ़ बनी हैं। इसके परिणामस्वरूप गुजरात वन विभाग ने अनेक उपलब्धियां हासिल की हैं। मंत्रियों की अगुवाई में हाल ही में वन विभाग और गुजरात इकोलॉजिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (गीर) फाउंडेशन द्वारा महत्वपूर्ण पहलें की गई है।

सूचना विभाग की ओर से जारी जानकारी के अनुसार इन पहलों के अंतर्गत वन विभाग द्वारा वर्ष 2023 में राज्य में भेड़ियों की जनगणना की गई, जिसमें राज्य के 13 जिलों में भेड़ियों की संख्या 222 आंकी गई है। इनमें सबसे अधिक 80 भेड़िये भावनगर जिले में दर्ज किए गए हैं जबकि नर्मदा जिले में 39, बनासकांठा में 36, सुरेन्द्रनगर में 18, जामनगर और मोरबी में 12-12 और कच्छ जिले में 9 भेड़िए पाए गए। इसके अलावा पोरबंदर, मेहसाणा, नवसारी, पाटण, अरवल्ली और सूरत जिले में भी भेड़ियों का अस्तित्व पाया गया है।

इसके अलावा ‘गीर’ फाउंडेशन और गुजरात वन विभाग के सहयोग से राज्य में भेड़ियों के लिए अनुकूल आवासों को दर्शाने वाले नक्शों का एक एटलस-राज्य में भारतीय भेड़ियों के निवास स्थानों का एटलस तैयार किया गया है। यह एटलस भारतीय भेड़ियों के संरक्षण के मौजूदा प्रयासों में एक महत्वपूर्ण कदम है। भारतीय भेड़िया एक मुख्य प्रजाति है, जो पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित रखने और टिकाऊ कृषि को समर्थन देने में अहम भूमिका निभाती है।

‘गीर’ फाउंडेशन में उपलब्ध रिमोट सेंसिंग और भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) जैसी अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग कर तैयार किए गए इस एटलस का विमोचन 25 दिसंबर, 2024 को सुशासन दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल द्वारा वन मंत्री और उच्च अधिकारियों की उपस्थिति में किया गया।

‘गीर’ फाउंडेशन द्वारा तैयार किए गए इस एटलस का मुख्य उद्देश्य राज्य में भेड़ियों के अनुकूल आवासों की पहचान करना है। यदि भेड़ियों के संरक्षण के लिए अनुकूल आवासों को प्राथमिकता दी जाएगी, तो भेड़ियों और अन्य वन्य जीवों का भी संरक्षण होगा। इसके परिणामस्वरूप भेड़ियों की आबादी में भी वृद्धि होगी। एटलस में इन अनुकल स्थानों के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराई गई है। ‘गीर’ फाउंडेशन द्वारा किए गए अध्ययन में राज्य के 13 जिलों में भेड़ियों की मौजूदगी और उनके आवासों के नक्शे तैयार किए गए हैं। इन उपलब्ध आवासों के प्रभावी संरक्षण के जरिए भेड़ियों की बढ़ती आबादी के अनुकूल क्षेत्र प्राप्त हो सकेंगे।

भेड़ियों के लिए गुजरात आदर्श निवास स्थान गुजरात में भेड़िया मुख्य रूप से जंगल और रण (रेगिस्तान) क्षेत्रों में नजर आता है। यह झाड़ीदार और घने वृक्षों वाले क्षेत्रों में निवास करता है। इस एटलस के अनुसार भेड़ियों के लिए अनुकूल निवास स्थान मुख्य रूप से खुले झाड़ी वाले क्षेत्र और जल स्रोतों की उपलब्धता वाले घास के मैदान में होते हैं, जो भारतीय भेड़ियों के लिए एक आदर्श निवास स्थान है।

इसके अलावा, कच्छ के छोटे और बड़े रण को भी भारतीय भेड़ियों के लिए अहम निवास स्थान के रूप में पहचाना गया है। साथ ही, भाल क्षेत्र भी एक अन्य मुख्य स्थान है, जिसमें वेळावदर राष्ट्रीय उद्यान और धोलेरा के आसपास के इलाके शामिल हैं, जहां भेड़िये प्राकृतिक शिकारी के रूप में कृष्ण मृग की आबादी को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। वहीं, नर्मदा जिले के शूलपाणेश्वर अभयारण्य का जंगल भी भेड़ियों के निवास के लिए पसंदीदा स्थल बन गया है।

‘गीर’ फाउंडेशन और वन विभाग द्वारा तैयार किया गया एटलस भेड़ियों के मुख्य निवास स्थानों को जोड़ने वाले महत्वपूर्ण कॉरिडोर की पहचान में भी सहायक सिद्ध होगा। यह कॉरिडोर भारतीय भेड़ियों की गतिविधियों और आनुवंशिक विविधता के लिए महत्वपूर्ण है, जो उसके दीर्घकालिक अस्तित्व के लिए आवश्यक है। यह एटलस भविष्य की संरक्षण रणनीतियों की योजना बनाने और सुरक्षा की जरूरत वाले क्षेत्रों को प्राथमिकता देने के लिए एक निर्णायक साधन के रूप में आवश्यक है।

‘गीर’ फाउंडेशन का यह एटलस गुजरात में भारतीय भेड़ियों के निवास स्थानों को प्रभावी रूप से संचालित और संरक्षित करने के लिए मार्गदर्शक संसाधन के रूप में सेवा देगा। यह एटलस वर्षों की क्षेत्रीय जानकारी, वन विभाग के स्टाफ के निरंतर अवलोकन, शोध और संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध विशेषज्ञों के सामूहिक ज्ञान का प्रतिनिधित्व करता है। इसके अलावा, भेड़ियों के संरक्षण और गलत मान्यताओं को दूर करने के लिए वन विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों, शोधकर्ताओं, प्रकृति प्रेमियों और संरक्षणवादियों द्वारा जंगलों और रण के आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों को भेड़ियों को बचाने और उनके संरक्षण करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।

भेड़िये की पहचान

भेड़िया प्रकृति के सबसे बुद्धिशाली प्राणियों में से एक है। इसका वैज्ञानिक नाम कैनिस लूपस पैलिपेस है। भेड़िया 3 से 5 फुट लंबा होता है और उसका वजन 30 से 80 किलोग्राम तक होता है। इसका साफ शरीर, चमकीली आंखें और लंबी पूंछ इसे अन्य जानवरों से अलग करती है। भेड़िये के बाल भूरे, काले, सफेद या खाकी रंग के होते हैं, जो उसे छुपने में मदद करते हैं।

भेड़ियों के समूह को ‘पैक’ नाम से जाना जाता है। आम तौर पर एक समूह में 6 से 15 भेड़िये होते हैं जिनमें एक अल्फा नर और एक अल्फा मादा होती है, जो पूरे समूह का नेतृत्व करते हैं। वे साथ में शिकार करते हैं, भोजन साझा करते हैं और अपने क्षेत्र की रक्षा करते हैं।

भेड़िया केवल एक शिकारी यानी हिंसक जानवर ही नहीं है, बल्कि वह प्रकृति के संगठन का एक अनिवार्य अंग है। उसकी बुद्धि, सामाजिक व्यवस्था में उसकी भूमिका और प्रकृति में उसका स्थान मनुष्य को प्रकृति के साथ अपने संबंध को और अधिक प्रगाढ़ बनाने की प्रेरणा देता है। गुजरात के पारिस्थितिकी तंत्र में भेड़ियों का शिकार का स्वभाव और उनकी तंदुरुस्त आबादी पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन के लिए काफी महत्वपूर्ण है।

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हिन्दुस्थान समाचार / बिनोद पाण्डेय