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- जीवन में आगे बढ़ने के लिए और वैज्ञानिक सोच रखने के लिए एक विजन आवश्यक : डॉ. शर्मा
भोपाल, 30 दिसंबर (हि.स.)। परमाणु वैज्ञानिक एवं प्रमुख, परमाणु नियंत्रण और योजना विंग, परमाणु ऊर्जा विभाग डॉ. अरुण कुमार नायक ने कहा कि भारत को विकसित देश बनाने के लिए परमाणु ऊर्जा आवश्यक है। आने वाले समय में वह देश ही विकास कर पाएंगे, जिनके पास ऊर्जा के स्त्रोत होंगे।
परमाणु वैज्ञानिक डॉ. नायक सोमवार देर शाम चार दिवसीय 11वें भोपाल विज्ञान मेले के समापन सत्र में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि विश्व में प्रमुख अर्थव्यवस्था 2047 तक बनने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी अत्यंत आवश्यक है, बिना इसके विकास संभव नहीं है। बढ़ती जनसंख्या के कारण संसाधनों एवं ऊर्जा की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि परमाणु उर्जा ही हमारी उर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकती है। परमाणु ऊर्जा सुरक्षित है एवं इसमें विकिरण को लेकर बहुत ही भ्रांतियां है। उन्होंने आह्वान किया कि देश में निर्मित वस्तुओं का ही उपयोग करें जिससे देश की इकोनामी मजबूत होने में मदद मिलेगी।
परमाणु वैज्ञानिक डॉ. नायक ने परमाणु ऊर्जा के महत्व को विस्तार से बताया कि कैसे यह ऊर्जा भारत को आत्मनिर्भर और स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों की दिशा में अग्रसर कर सकती है। डॉ. नायक ने इस बात पर जोर दिया कि ऊर्जा संसाधनों का उचित उपयोग करके भारत आने वाले 25 वर्षों में विश्व का अग्रणी राष्ट्र बन सकता है। उन्होंने छात्रों को परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में शोध और नवाचार के लिए प्रेरित किया।
अखिल भारतीय संगठन विज्ञान भारती के डॉ. शिव कुमार शर्मा ने इस अवसर पर छात्रों से आह्वान किया कि जीवन में आगे बढ़ने के लिए और वैज्ञानिक सोच रखने के लिए एक विजन आवश्यक है। उन्होंने कहा कि छात्रों की वैज्ञानिक जिज्ञासाओं का समाधान शिक्षकों द्वारा आवश्यक है क्योंकि पार्थ जैसा विद्यार्थी और कृष्ण जैसा गुरु जीवन को वैज्ञानिक सार्थकता और सफलता प्रदान करते हैं।
उन्होंने कहा कि यदि हम अपने दृष्टिकोण को सकारात्मक रखें और अपने लक्ष्य के प्रति निरंतर मेहनत करते रहें तो हम समाज की सभी बुराइयों को दूर कर सकते हैं। इस अवसर पर डॉ. अनिल कोठारी, महानिदेशक, म.प्र. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद्, डॉ धीरेन्द्र स्वामी, सह सचिव विज्ञान भारती, डॉ अमोघ गुप्ता, अध्यक्ष विज्ञान भारती मध्य भारत, संजय कौरव, सचिव विज्ञान भारती मध्य भारत उपस्थित थे। डॉ. धीरेन्द्र स्वामी ने पूरे चार दिनों का प्रतिवेदन सभी के समक्ष रखा। कार्यक्रम का संचालन डॉ. जीतेन्द्र अग्रवाल एवं डॉ. प्रदीप सिंगोर ने किया।
चार दिवसीय विज्ञान मेले में 150 से अधिक वैज्ञानिक मॉडलों का प्रदर्शन किया गया। इन मॉडलों में छात्रों ने अपनी रचनात्मकता, नवीन सोच, और तकनीकी दक्षता का परिचय दिया। आईईएस पब्लिक स्कूल, सागर पब्लिक स्कूल, कार्मेल कॉन्वेंट गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल, सीएम राइज स्कूल, आईंटीआई और कॉर्पोरेट इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी जैसे संस्थानों ने अपने मॉडल्स के माध्यम से विभिन्न वैज्ञानिक समस्याओं और उनके समाधान को प्रस्तुत किया।
11वाँ भोपाल विज्ञान मेला एक वैज्ञानिक जागरूकता अभियान था, जिसने छात्रों और दर्शकों को विज्ञान के प्रति रुचि, जिज्ञासा और नवाचार की भावना से प्रेरित किया। इस मेले ने यह संदेश दिया कि विज्ञान केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं, बल्कि यह जीवन का एक अभिन्न अंग है। भोपाल विज्ञान मेला आने वाले वर्षों में विज्ञान के क्षेत्र में छात्रों को नई ऊँचाइयों तक पहुंचाने के लिए प्रेरणा देता रहेगा और आत्म-निर्भर भारत के सपने को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर