भोजपुरी केवल भाषा नहीं, हमारी संस्कृति और अस्मिता का प्रतीक : कुलपति प्रो. पूनम टंडन
भोजपुरी गायन की भाषा है और भावनाओं की शक्ति को संजोती है : सरिता बुधु
भोजपुरी गायन की भाषा है और भावनाओं की शक्ति को संजोती है : सरिता बुधु*


भोजपुरी गायन की भाषा है और भावनाओं की शक्ति को संजोती है : सरिता बुधु*


भोजपुरी गायन की भाषा है और भावनाओं की शक्ति को संजोती है : सरिता बुधु*


भोजपुरी गायन की भाषा है और भावनाओं की शक्ति को संजोती है : सरिता बुधु*


भोजपुरी गायन की भाषा है और भावनाओं की शक्ति को संजोती है : सरिता बुधु*


भोजपुरी गायन की भाषा है और भावनाओं की शक्ति को संजोती है : सरिता बुधु*


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भोजपुरी गायन की भाषा है और भावनाओं की शक्ति को संजोती है : सरिता बुधु*


भोजपुरी गायन की भाषा है और भावनाओं की शक्ति को संजोती है : सरिता बुधु*


गोरखपुर, 30 दिसंबर (हि.स.)l दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के संवाद भवन में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय भोजपुरी संगोष्ठी में भोजपुरी भाषा, साहित्य और संस्कृति के विभिन्न पहलुओं पर गहन चर्चा हुई। संगोष्ठी का आयोजन विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग एवं भोजपुरी एसोसिएशन ऑफ इंडिया “भाई” के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। जिसका उद्घाटन कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने किया। बतौर मुख्य अतिथि भोजपुरी स्पीकिंग यूनियन, मॉरीशस की पूर्व अध्यक्ष डॉ. सरिता बुधु की उपस्थिति रही।

अंतर्राष्ट्रीय भोजपुरी संगोष्ठी की मुख्य अतिथि भोजपुरी स्पीकिंग यूनियन मॉरीशस की पूर्व अध्यक्ष डॉ. सरिता बुधु ने भोजपुरी भाषा को “गायन की भाषा” बताते हुए इसे भावनाओं की भाषा के रूप में परिभाषित किया और कहा कि भोजपुरी गीतों में वह ताकत है, जो लोगों के दिलों को जोड़ सकती है।

उन्होंने भोजपुरी को मान्यता प्राप्त भाषा का दर्जा दिलाने की आवश्यकता पर जोर दिया और मॉरीशस में भोजपुरी भाषा के प्रचार-प्रसार के अपने अनुभव साझा किए। शोधार्थियों से भी डायस्पोरा पर अपना शोध करने की अपील किया और साथ ही साथ विश्वविद्यालय में डायस्पोरा केंद्र खोलने के लिए कुलपति से अनुरोध भी किया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने अपने संबोधन में कहा, “भोजपुरी केवल भाषा नहीं, यह हमारी संस्कृति, परंपरा और अस्मिता का प्रतीक है। किसी भी संस्कृति को गहराई से समझने के लिए उसकी भाषा और उसके साहित्य को समझना अत्यंत आवश्यक है।” यह एक सराहनीय कार्यक्रम है, इस तरह के आयोजन हमारी सांस्कृतिक धरोहर को नई पीढ़ी तक पहुंचाने में सहायक होते हैं। अपनी बात आगे बढ़ाते हुए उन्होंने मॉरीशस और भारत के बीच शोध और सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया।

कार्यक्रम के आयोजन समिति के संयोजक डॉ. राकेश कुमार श्रीवास्तव ने अपने स्वागत भाषण में सभी अतिथियों और उपस्थित जनसमूह का अभिनंदन करते हुए भोजपुरी भाषा और संस्कृति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की। डॉ. श्रीवास्तव ने कहा, “भोजपुरी को न केवल संरक्षित करने की जरूरत है, बल्कि इसे वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने के प्रयास भी जरूरी हैं। कार्यक्रम के आयोजक एवं अंग्रेजी विभागाध्यक्ष प्रो. अजय कुमार शुक्ल ने अपने उद्बोधन में भोजपुरी को हमारी जड़ों और संस्कृति का प्रतीक बताते हुए कहा कि इसे संरक्षित और प्रोत्साहित करना हर एक व्यक्ति का कर्तव्य है। भोजपुरी भाषा का विस्तार विस्तार विश्व के सभी महाद्वीपों पर है। उन्होंने मुख्य अतिथि डॉ. सरिता बुधु और अन्य अतिथियों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भोजपुरी को बढ़ावा देने के प्रयासों के लिए कृतज्ञता ज्ञापित की।

विशिष्ट अतिथि भाषा आयोग नेपाल के अध्यक्ष डॉ. गोपाल ठाकुर ने भोजपुरी को साहित्यिक दृष्टिकोण से प्रासंगिक बनाने के लिए सामूहिक प्रयासों की अपील की। अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष बृज भूषण मिश्र ने भोजपुरी साहित्य और इसके ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डाला। सिंगापुर के नीरज चौधरी ने अपना उद्बोधन किया। विश्वविद्यालय के प्रो शरद मिश्र एवं प्रो विमलेश मिश्र ने भोजपुरी भाषा एवं संस्कृति पर अपने विचार रखे। सिंगापुर से आए नीरज चतुर्वेदी ने ऐसे आयोजनों की सराहना करते हुए इस कार्यक्रम को मील का पत्थर कहा।

संगोष्ठी में विभिन्न वक्ताओं ने भोजपुरी साहित्य, संगीत और शोध की नई दिशाओं पर अपने विचार प्रस्तुत किए। इस दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। यह संगोष्ठी भोजपुरी भाषा और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से एक ऐतिहासिक पहल रही।

आयोजित हुआ “माटी के लाल” सम्मान समारोह

इस कार्यक्रम के अंतिम भाग में सम्मान समारोह आयोजित किया गया .शाम 6:30 बजे आयोजित इस कार्यक्रम में भोजपुरी के लिए समर्पित साहित्यकार, लेखक, समीक्षक एवं गीतकारों को “माटी के लाल” सम्मान से सम्मानित किया गया । साथ ही, भोजपुरी भाषा के संरक्षण और संवर्धन के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कार्य करने वाली भोजपुरी स्पीकिंग यूनियन, मॉरीशस की पूर्व अध्यक्ष डॉ. सरिता बुद्धू को लोक गायिका मैनावती देवी लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया गया

सम्मानित होने वाले प्रमुख व्यक्तित्वों में प्रो. ब्रजभूषण मिश्र, प्रो. जयकांत सिंह जय (मुजफ्फरपुर), डॉ. गोपाल ठाकुर (नेपाल), मनोज भावुक, केशव मोहन पांडेय (दिल्ली), प्रो. राम नारायण त्रिपाठी (गाजीपुर), यशिंद्र प्रसाद (पटना), कनक किशोर (रांची), संगीत सुभाष (गोपालगंज) एवं सुभाष यादव (गोरखपुर) शामिल हैं।

यह सम्मान महापौर गोरखपुर डॉ मंगलेश श्रीवास्तव द्वारा किया गया। कार्यक्रम के समापन पर सुप्रसिद्ध नाट्य निर्देशक मानवेंद्र त्रिपाठी के निर्देशन में भोजपुरी के शेक्सपीयर कहे जाने वाले भिखारी ठाकुर की अमर कृति “विदेसिया” का मंचन हुआ ।

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हिन्दुस्थान समाचार / प्रिंस पाण्डेय