इंदौर में बना 60वां ग्रीन कॉरिडोर, पहली बार डोनेट हुए दोनों हाथ
-कारोबारी की दोनों किडनी, लिवर, आंखें, स्किन डोनेट करने के लिए एक साथ बने चार ग्रीन कॉरिडोर इंदौर, 30 दिसंबर (हि.स.)। मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी और देश का सबसे स्वच्छ शहर इंदौर अंगदान के मामले में पीछे नहीं है। यहां सोमवार देर शाम 60वां ग्रीन कॉर
ब्रेन डेड व्यक्ति के सम्मान में रेड कारपेट बिछाकर भावभीनी विदाई दी गई


-कारोबारी की दोनों किडनी, लिवर, आंखें, स्किन डोनेट करने के लिए एक साथ बने चार ग्रीन कॉरिडोर

इंदौर, 30 दिसंबर (हि.स.)। मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी और देश का सबसे स्वच्छ शहर इंदौर अंगदान के मामले में पीछे नहीं है। यहां सोमवार देर शाम 60वां ग्रीन कॉरिडोर बना। एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान मनोरमा गंज निवासी सुरेंद्र पोरवाल (जैन) को 68 वर्ष की आयु में ब्रेन डेड घोषित किया गया। इसके बाद परिवार ने उनके दोनों हाथ, किडनी, लिवर, आंखें और स्किन डोनेट करने का निर्णय लिया। इसके बाद उनके अंगों को विभिन्न अस्पतालों में पहुंचाने के लिए एक साथ चार ग्रीन कॉरिडोर बनाए गए। इंदौर में अंगदान को लेकर यह पहला मौका है जब किसी ब्रेन डेड व्यक्ति के दोनों हाथ डोनेट किए गए हैं। यह हाथ मुंबई एक मरीज को ट्रांसप्लांट किए जा रहे हैं।

इंदौर के शैल्बी हॉस्पिटल में इलाजरत सुरेंद्र पोरवाल को रविवार को अंगदान अधिनियम के तहत चार डॉक्टरों की टीम ने उन्हें ब्रैनडेड घोषित किया। इसके बाद परिवार ने अंगदान की लिए सहमति दी। सहमति मिलने के बाद मुस्कान ग्रुप के जीतू बगानी और संदीपन आर्य ने मामले में परिवार, डॉक्टरों की टीम के साथ ही एमजीएम मेडिकल कॉलेज की टीम के साथ चर्चा की। प्रशासन, चिकित्सा, ट्रैफिक पुलिस की टीम और मुस्कान ग्रुप के सेवादार कॉरिडोर में समन्वय बनाया।

इसके बाद अंगदान के लिए ग्रीन कॉरिडोर की तैयारियां की गई। सोमवार शाम को शैल्बी हॉस्पिटल से चार ग्रीन कॉरिडोर बनाए गए। इस दौरान ब्रेन डेड व्यक्ति के सम्मान में रेड कारपेट बिछाकर भावभीनी विदाई दी गई। शाम करीब 6.25 बजे पोरवाल के दोनों हाथ ग्लोबल हॉस्पिटल (मुंबई), लिवर जुपिटर विशेष हॉस्पिटल (मुंबई), लिवर हैदराबाद के केडी हॉस्पिटल, एक किडनी चोइथराम हॉस्पिटल और दूसरी किडनी राजश्री अपोलो हॉस्पिटल इंदौर के लिए शाम करीब 6.25 बजे रवाना कर दी गई। जहां ये सारे अंग ट्रांसप्लांट किए जा रहे हैं। इसके साथ ही उनके नेत्र एमके इंटरनेशनल आई बैंक और त्वचा चोइथराम स्किन बैंक को डोनेट की गई। परिवार ने लंग्स भी डोनेट करने की मंशा जाहिर की, लेकिन टेक्निकल दिक्कत होने से यह नहीं हो सका।

परिजनों ने बताया कि पिछले साल रिश्तेदार विनिता खजांची को ब्रेनडेड किया गया था। परिवार ने उनका एक हाथ भी डोनेट किया था जो मुंबई के मरीज को ट्रांसप्लांट हुआ था। यही याद कर हम अंगदान के लिए आगे आए और एक साथ 8 महत्वपूर्ण अंग डोनेट किए गए। इस दौरान सुरेंद्र पोरवाल की पत्नी नूतन के आंसू रुक नहीं रहे थे। भाई प्रवीण जैन उन्हें सांत्वना देते दिखे। नूतन ने अंगदान की सहमति देकर कहा कि उनकी सोच शुरू से सेवाभाव की थी। उनकी इच्छा थी कि कुछ अच्छा करूं। आज वे इस दुनिया में नहीं है लेकिन परिवार ने उनकी इच्छा पूरी की है। मुझे पति पर गर्व है।

पोरवाल परिवार का टाइल्स का कारोबार है। शैल्बी हॉस्पिटल के सुपरिटेंडेंट डॉ. विवेक जोशी ने बताया कि करीब दो साल पहले उन्हें ब्रेन संबंधी तकलीफ के चलते भर्ती किया गया था। फिर वे पूरी तरह ठीक हो गए थे, लेकिन गत 23 दिसंबर को फिर उन्हें पेट में तकलीफ को लेकर भर्ती किया गया। यहां उनके पेट की सर्जरी हुई। फिर कुछ दिनों बाद उनकी हालत बिगड़ी और वे कोमा में चले गए। इसके बाद रविवार को डॉ. अचल अग्रवाल ने पोरवाल के परिजन को ब्रेन डेड की आशंका जताई। इस दौरान उनकी पत्नी नूतन पोरवाल, पुत्र धवल व नकुल ने अंगदान पर सहमति जताई।

पोरवाल के बेटे धवल ने बताया कि पिता हमेशा कहते थे कि ऐसा कुछ किया जाए तो सभी याद रखें। उनकी यह बातें मेरे जेहन में थी। फिर परिवार और रिश्तेदारों को हमने उनके अंग डोनेट की मंशा जाहिर की तो उनका भी पूरा सपोर्ट मिला। छोटे बेटे नकुल ने बताया कि वे मेरे साथ दोस्ताना व्यवहार करते थे। वे कहते थे जिंदगी में कुछ बड़ा किया जाए। सचमुच आज उन्होंने इतना बड़ा काम किया है कि वे नहीं है लेकिन दूसरों को जिंदगी देकर रोशन होते रहेंगे।

हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर