सुगम्य भारत अभियान के 9 वर्ष पूरे, प्रधानमंत्री ने दिव्यांगों के लिए पहुंच, समानता और अवसर बढ़ाने की प्रतिबद्धता दोहराई
नई दिल्ली, 3 दिसंबर (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज सुगम्य भारत अभियान के 9 वर्ष पूरे होने पर बधाई दी। उन्होंने दिव्यांग बहनों और भाइयों के लिए पहुंच, समानता तथा अवसर को और बढ़ाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। मोदी ने दिव्यांग बहनों औ
दिव्यांग खिलाड़ी से मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (फाइल फोटो)


नई दिल्ली, 3 दिसंबर (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज सुगम्य भारत अभियान के 9 वर्ष पूरे होने पर बधाई दी। उन्होंने दिव्यांग बहनों और भाइयों के लिए पहुंच, समानता तथा अवसर को और बढ़ाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। मोदी ने दिव्यांग बहनों और भाइयों के धैर्य और उपलब्धियों की सराहना करते हुए कहा कि इसने हम सभी को गौरवान्वित किया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ब्लॉग पर लिखा कि आज 3 दिसंबर का महत्वपूर्ण दिन है। पूरा विश्व इस दिन को अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस के रूप में मनाता है। आज का दिन दिव्यांगजनों के साहस, आत्मबल और उपलब्धियों को नमन करने का विशेष अवसर होता है। उन्होंने कहा कि 140 करोड़ देशवासियों की संकल्प-शक्ति से ‘सुगम्य भारत’ ने ना सिर्फ दिव्यांगजनों के मार्ग से कई बाधाएं हटाई, बल्कि उन्हें सम्मान और समृद्धि का जीवन भी दिया।

उन्होंने कहा कि इस वर्ष ये दिन और भी विशेष है। इसी साल भारत के संविधान के 75 वर्ष पूर्ण हुए हैं। भारत का संविधान हमें समानता और अंत्योदय के लिए काम करने की प्रेरणा देता है। संविधान की इसी प्रेरणा को लेकर बीते 10 वर्षों में हमने दिव्यांगजनों की उन्नति की मजबूत नींव रखी है। इन वर्षों में देश में दिव्यांगजनों के लिए अनेक नीतियां बनी हैं, अनेक निर्णय़ हुए हैं। ये निर्णय दिखाते हैं कि हमारी सरकार सर्वस्पर्शी है, संवेदनशील है और सर्वविकासकारी है। इसी क्रम में आज का दिन दिव्यांग भाई-बहनों के प्रति हमारे इसी समर्पण भाव को फिर से दोहराने का दिन भी बना है।

मोदी ने कहा कि 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद हमने सबसे पहले ‘विकलांग’ शब्द के स्थान पर ‘दिव्यांग’ शब्द को प्रचलित करने का फैसला लिया। ये सिर्फ शब्द का परिवर्तन नहीं था, इसने समाज में दिव्यांगजनों की गरिमा भी बढ़ाई और उनके योगदान को भी बड़ी स्वीकृति दी। इस निर्णय ने ये संदेश दिया कि सरकार एक ऐसा समावेशी वातावरण चाहती है, जहां किसी व्यक्ति के सामने उसकी शारीरिक चुनौतियां दीवार ना बनें औऱ उसे उसकी प्रतिभा के अनुसार पूरे सम्मान के साथ राष्ट्र निर्माण का अवसर मिले।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले की सरकारों के समय जो नीतियां थीं, उनकी वजह से दिव्यांगजन सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षा के अवसरों से पीछे रह जाते हैं। हमने वो स्थितियां बदलीं। आरक्षण की व्यवस्था को नया रूप मिला। 10 वर्षों में दिव्यांगजन के कल्याण के लिए खर्च होने वाली राशि को भी तीन गुना किया गया। इन निर्णयों ने दिव्यांगजनों के लिए अवसरों और उन्नतियों के नए रास्ते बनाए। आज हमारे दिव्यांग साथी, भारत के निर्माण के समर्पित साथी बनकर हमें गौरवान्वित कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि दिव्यांग भाई-बहनों की दृढ़ता और उपलब्धियां हमें गौरवान्वित करती हैं। पैरालिंपिक में भारत की सफलता इसका एक बहुत ही जीवंत उदाहरण है। यह दिव्यांग व्यक्तियों की ‘कुछ भी कर सकने की भावना’ को दर्शाता है। मोदी ने कहा कि दिव्यांगों के जीवन को सरल, सहज और स्वाभिमानी बनाने के लिए हमने दिव्यांग व्यक्ति अधिनियम को भी इसी भाव से लागू किया। इस ऐतिहासिक कानून में दिव्यांगत की कैटेगरी को भी 7 से बढ़ाकर 21 किया गया। पहली बार हमारे एसिड अटैक सर्वाइवर्स भी इसमें शामिल किए गए। आज ये कानून दिव्यांगजनों के सशक्त जीवन का माध्यम बन रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज जब पैरालंपिक का मेडल सीने पर लगाकर, मेरे देश के खिलाड़ी मेरे घर पर पधारते हैं तो मेरा मन गौरव से भर जाता है। हर बार जब मन की बात में मैं अपने दिव्यांग भाई-बहनों की प्रेरक कहानियों को आपके साथ साझा करता हूं, तो मेरा हृदय गर्व से भर जाता है। शिक्षा हो, खेल या फिर स्टार्टअप, वे सभी बाधाओं को तोड़कर नई ऊंचाइयां छू रहे हैं और देश के विकास में भागीदार बन रहे हैं।

उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि 2047 में जब हम स्वतंत्रता का 100वां उत्सव मनाएंगे, तो हमारे दिव्यांग साथी पूरे विश्व का प्रेरणा पुंज बने दिखाई देंगे। आज हमें इसी लक्ष्य के लिए संकल्पित होना है।

उल्लेखनीय है कि नौ साल पहले, सुगम्य भारत अभियान, जिसे एक्सेसिबल इंडिया अभियान के नाम से भी जाना जाता है, ने भारत को एक सच्चे समावेशी समाज में बदलने के मिशन की शुरुआत की थी।

ज्ञातव्य है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नौ साल पहले 3 दिसंबर 2015 को सुगम्य भारत अभियान (एक्सेसिबल इंडिया अभियान) की शुरुआत की थी। सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के दृष्टिकोण पर आधारित इस अभियान का उद्देश्य तीन महत्वपूर्ण क्षेत्रों में निर्मित बुनियादी ढांचा, परिवहन प्रणाली और सूचना और संचार प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र तक सार्वभौमिक पहुंच सुनिश्चित करना था। अभियान का उद्देश्य सार्वजनिक भवनों, बसों और ट्रेनों जैसे परिवहन नेटवर्क और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म को दिव्यांगजनों के लिए सुलभ बनाना था।

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हिन्दुस्थान समाचार / सुशील कुमार