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- महाकवि भारती की जयंती पर होगा भारतीय भाषा उत्सव का आगाज
- भाषा की मिठास से जुड़ेंगे दिल, एकता का संदेश देगा यह अनोखा उत्सव
- चार से 11 दिसंबर तक सप्ताह भर चलेगा भारतीय भाषा उत्सव कार्यक्रम
देहरादून, 03 दिसंबर (हि.स.)। भारतीय भाषाओं की विविधता, सांस्कृतिक समृद्धि और साहित्यिक विरासत को सलाम करने के लिए उत्तराखंड के विद्यालयों में भारतीय भाषा उत्सव का आयोजन किया जाएगा। यह आयोजन महाकवि सुब्रमण्य भारती की जयंती के उपलक्ष्य में चार से 11 दिसंबर तक सप्ताहभर चलेगा। इस वर्ष की थीम भाषाओं के माध्यम से एकता (यूनिटी थ्रो लेंगुएजेस) के तहत उत्सव का उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप मातृभाषा, बहुभाषिकता और सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा देना है।
अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण उत्तराखंड की निदेशक बन्दना व्याल ने पत्र जारी कर बताया कि यह उत्सव न केवल भाषाई विविधता को सम्मानित करेगा बल्कि नई पीढ़ी को अपनी मातृभाषा के महत्व से जोड़ते हुए राष्ट्रीय एकता की भावना को प्रबल करेगा। महाकवि सुब्रमण्य भारती की साहित्यिक धरोहर को प्रेरणा मानकर यह कार्यक्रम भारतीय भाषाओं के संवर्धन और संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
शैक्षिक गतिविधियों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और बहुभाषी प्रतियोगिताओं के माध्यम से इस उत्सव में देश के सांस्कृतिक ताने-बाने को प्रदर्शित करते हुए बच्चों और समुदाय को भाषाई एकता के महत्व से जोड़ा जाएगा। यह आयोजन भाषाई विविधता को संरक्षित करने और महाकवि भारती की समृद्ध साहित्यिक धरोहर को श्रद्धांजलि देने का प्रयास है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 और उत्सव की पृष्ठभूमि
एनईपी 2020 के अनुरूप मातृभाषा और बहुभाषिकता पर जोर देते हुए यह उत्सव भारतीय भाषाओं को शिक्षा और अनुसंधान का माध्यम बनाने को प्रोत्साहित करेगा। इसका उद्देश्य छात्रों में भारतीय भाषाओं और साहित्य के प्रति गहरी प्रशंसा और गर्व की भावना जागृत करना है।
सप्ताहभर चलने वाले उत्सव की प्रमुख गतिविधियां
चार दिसंबर : भाषा और प्रकृति में सामंजस्य
विद्यार्थियों द्वारा भाषा वृक्ष तैयार किया जाएगा, जिसमें पत्तियों पर विभिन्न भारतीय भाषाओं के शब्द लिखे जाएंगे। पर्यावरण से जुड़ी कविताओं का पाठ विभिन्न भाषाओं में होगा। प्रकृति की सैर (नेचर वाल्क) के दौरान विद्यार्थियों को अपनी मातृभाषा में अनुभव साझा करने का अवसर मिलेगा।
पांच दिसंबर : भाषा और प्रौद्योगिकी का संगम
विद्यार्थी डिजिटल भाषा पत्रिका तैयार करेंगे, जिसमें नए शब्दों का संग्रह होगा। इंटरैक्टिव मानचित्र तैयार कर राज्यों की भाषाओं और सांस्कृतिक विशेषताओं को दर्शाया जाएगा। विभिन्न राज्यों की स्थानीय भाषाओं में व्यंजन विधियों की कुकबुक बनाई जाएगी।
छह दिसंबर : भाषा और साहित्य का संगम
महाकवि सुब्रमण्य भारती और क्षेत्रीय लेखकों पर चर्चा गोष्ठी का आयोजन। भाषा आधारित फिल्मों और डाक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग। प्रार्थना सभा में महाकवि भारती के जीवन और विचारों पर प्रकाश डाला जाएगा।
सात दिसंबर : भाषा मेला
विभिन्न भाषाओं के क्लब स्थापित किए जाएंगे, जहां बच्चे नई भाषाओं को सीखेंगे। कला परियोजनाओं के माध्यम से भाषाओं का रचनात्मक उपयोग। देश के विविध त्योहारों को संबंधित भाषाओं में मनाया जाएगा।
नौ दिसंबर : अभिव्यक्ति की वाक्पटुता
बच्चों द्वारा विभिन्न भाषाओं में नाटकों और लोककथाओं की प्रस्तुति। बहुभाषी कविता पाठ और वाद-विवाद प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी।
10 दिसंबर : भाषा और समुदाय
भाषा मित्र पहल के तहत बहुभाषी बच्चों के समूह बनाए जाएंगे। स्थानीय भाषा विशेषज्ञों की मदद से कार्यशालाओं का आयोजन।
11 दिसंबर : भाषा, संस्कृति और हम
क्षेत्रीय उत्सव का आयोजन, जिसमें पारंपरिक वेशभूषा, गीत, नृत्य और सांस्कृतिक प्रदर्शन शामिल होंगे। भाषा उत्सव यात्रा और भारतीय भाषा प्रोमोशन मेला का आयोजन। राज्य, ब्लॉक और जनपद स्तर पर गतिविधियां।
ब्लॉक और जनपद स्तर पर होंगे आयोजन
इस उत्सव में विद्यालयों, ब्लॉक और जनपद स्तर पर सांस्कृतिक प्रदर्शन, भाषा जागरूकता अभियान और मेले का आयोजन होगा। विद्यार्थियों को भारतीय भाषाओं की विविधता से अवगत कराने के लिए विशेष कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी।
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हिन्दुस्थान समाचार / कमलेश्वर शरण