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गुवाहाटी, 29 दिसंबर (हि.स.)। असम के राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य ने आज रंगिया के हरदत्त-वीरदत्त भवन में आयोजित भारतीय शिक्षण मंडल उत्तर असम प्रांत के 27वें प्रशिक्षण सत्र के समापन समारोह में भाग लिया।
समारोह को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि ज्ञान के क्षेत्र में भारत की प्राचीन विरासत अद्भुत रही है। भारत सदियों तक विश्वगुरु रहा है और विभिन्न क्षेत्रों में असाधारण योगदान दिया है। यही वह पवित्र भूमि है जहां वेद और उपनिषद की उत्पत्ति हुई—विश्व के लिए सार्वभौमिक ज्ञान के अमर उदाहरण।
शिक्षा के परिवर्तनीय प्रभाव को रेखांकित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि सच्ची शिक्षा वही है जो लोगों को सभी प्रकार के बंधनों से मुक्त करती है। इसका उद्देश्य गरीबी, असमानता और भेदभाव को मिटाना होना चाहिए। इसी दृष्टि को प्राप्त करने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 लागू की गई और इसका सुचारु कार्यान्वयन उद्देश्यपूर्ण और भविष्य-उन्मुख शिक्षा प्रणाली की राह प्रशस्त कर रहा है।
राज्यपाल ने कहा कि भारत की विशाल सांस्कृतिक धरोहर और ज्ञान प्रणाली देश की सार्वभौमिक भाईचारे और ज्ञान की विरासत की नींव हैं, जिसने भारत को 'विश्वगुरु' का दर्जा दिलाया है। उन्होंने कहा कि देश विकास की प्रगति के मजबूत मार्ग पर है और सभी देशवासियों को इस यात्रा में समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और मूल्यों को शामिल करने के लिए काम करना चाहिए।
युवाओं की भूमिका पर जोर देते हुए राज्यपाल आचार्य ने भारत की विशाल युवा जनसंख्या को देश की सबसे बड़ी संपत्ति बताया। उन्होंने कहा कि यदि हम इस क्षमता का प्रभावी ढंग से उपयोग करें, तो भारत निश्चित रूप से अपनी वैश्विक नेतृत्व की महिमा को पुनः प्राप्त करेगा।
इस कार्यक्रम में भारतीय शिक्षण मंडल उत्तर असम प्रांत के अध्यक्ष डॉ. नील मोहन राय, संगठन के सचिव दीपक कुमार शर्मा और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार / श्रीप्रकाश