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जयपुर, 28 दिसंबर (हि.स.)। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की अध्यक्षता में शनिवार को मुख्यमंत्री कार्यालय में आयोजित मंत्रिमण्डल की बैठक में कर्मचारी कल्याण के साथ-साथ युवाओं के हित, सुशासन और समग्र विकास सुनिश्चित करने के लिए प्रशासनिक दृष्टि से महत्वपूर्ण फैसले किए गए।
बैठक के बाद संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने पत्रकाराें काे बताया कि कैबिनेट ने पिछली सरकार के समय में गठित जिलों और संभागों का पुनः निर्धारण किया है। इसके बाद अब प्रदेश में कुल सात संभाग और 41 जिले होंगे।
पूर्ववर्ती सरकार ने अपने कार्यकाल के आखिरी वर्ष में प्रदेश में 17 नए जिले एवं तीन संभाग बनाने का निर्णय किया था। राजस्व विभाग ने पांच अगस्त 2023 को अधिसूचना जारी कर जिलों व संभागों का सृजन किया था। तीन नए जिलों की घोषणा विधानसभा चुनाव-2023 की आचार संहिता से एक दिन पहले की गई, जिनकी अधिसूचना भी जारी नहीं हो सकी थी।
पटेल ने बताया कि पूर्ववर्ती सरकार ने नए जिलों एवं संभागों का गठन पूरी तरह से राजनीतिक लाभ लेने के लिए किया। इसमें वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता, प्रशासनिक आवश्यकता, कानून व्यवस्था, सांस्कृतिक सामंजस्य आदि किसी भी महत्वपूर्ण बिन्दु को ध्यान में नहीं रखा गया। नए जिलों के लिए पिछली सरकार ने कार्यालयों में न तो आवश्यक पद सृजित किए और न ही कार्यालय भवन बनवाए। बजट एवं अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं कराई गई।
उन्होंने कहा कि गहलाेत सरकार के इस अविवेकपूर्ण निर्णय की समीक्षा करने के लिए राज्य सरकार ने एक मंत्रिमण्डलीय उप-समिति और इसके सहयोग के लिए सेवानिवृत्त आईएएस डॉ. ललित के. पंवार की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया था।
विशेषज्ञ समिति द्वारा नवगठित जिलों एवं संभागों के पुनर्निर्धारण के संबंध में तैयार की गई रिपोर्ट एवं सिफारिशें मंत्रिमण्डलीय उप-समिति के समक्ष प्रस्तुत की गई। समिति द्वारा प्रस्तुत सिफारिशों पर विचार करते हुए नए सृजित जिलों में से नाै जिलों अनूपगढ़, दूदू, गंगापुरसिटी, जयपुर ग्रामीण, जोधपुर ग्रामीण, केकड़ी, नीमकाथाना, सांचौर व शाहपुरा तथा नवसृजित तीन संभागों बांसवाड़ा, पाली, सीकर को नहीं रखने का निर्णय मंत्रिमण्डल द्वारा किया गया है। आचार संहिता से ठीक पहले घोषित तीन नए जिलों मालपुरा, सुजानगढ़ और कुचामन सिटी को भी निरस्त करने का निर्णय राज्य मंत्रिमण्डल ने किया है।
संसदीय कार्य मंत्री ने बताया कि मंत्रिमण्डल के इस निर्णय के बाद अब राजस्थान में कुल सात संभाग एवं 41 जिले हो जाएंगे। यथावत रखे गए आठ नए जिलों फलौदी, बालोतरा, कोटपूतली-बहरोड़, खैरथल-तिजारा, ब्यावर, डीग, डीडवाना-कुचामन और सलूम्बर में प्रशासनिक ढांचा तैयार करने के लिए राज्य सरकार सभी जरूरी वित्तीय संसाधन एवं अन्य सुविधाएं मुहैया कराएगी। इससे इन नए जिलों में रहने वाले आमजन को इन जिलों के गठन का लाभ वास्तविक रूप में मिल सकेगा। उन्होंने बताया कि अब जिला परिषदों, पंचायत समिति और ग्राम पंचायतों का भी पुनर्गठन किया जाएगा।
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री सुमित गोदारा ने बताया कि राजस्थान सिविल सेवा (पुनरीक्षित वेतन) नियम, 2017 के नियम 14 की अनुसूची-1 में संशोधन, राजस्थान अधीनस्थ एवं लिपिक वर्गीय सेवा (समान पात्रता परीक्षा) नियम, 2022 में सीईटी स्कोर की वैधता तीन वर्ष करने, पशुधन सहायक को पदोन्नति का तीसरा अवसर उपलब्ध करवाने एवं इस संवर्ग के पदनामों में परिवर्तन के लिए सेवा नियमों में संशोधन को मंजूरी दी गई है।
मिनिमम एश्योर्ड कॅरियर प्रोग्रेशन (एमएसीपी) पर परिनिंदा के दण्ड का प्रभाव समाप्त
गोदारा ने बताया कि कार्मिकों के हित को ध्यान में रखते हुए मिनिमम एश्योर्ड कॅरियर प्रोग्रेशन (एमएसीपी) के तहत देय वित्तीय उन्नयन में राजस्थान सिविल सेवा (सीसीए) नियम 1958 के अंतर्गत अनुशासनिक कार्यवाहियों में अधिरोपित परिनिंदा के दण्ड के प्रभाव को समाप्त करने का अनुमोदन किया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में परिनिन्दा से दण्डित कार्मिक को 9, 18 एवं 27 वर्ष की नियमित सेवा पर देय वित्तीय उन्नयन का लाभ एमएसीपी की निर्धारित तिथि के एक वर्ष बाद मिल पाता है।
राज्य मंत्रिमण्डल ने कार्मिकों को होने वाले आर्थिक नुकसान को ध्यान में रखते हुए परिनिंदा के दण्ड के एमएएसपी पर प्रभाव को समाप्त करने के लिए राजस्थान सिविल सेवा (पुनरीक्षित वेतन) नियम, 2017 के नियम 14 की अनुसूची-1 में संशोधन के प्रस्ताव का अनुमोदन किया है। इससे पहले राज्य सरकार द्वारा सीसीए नियमों के अंतर्गत अनुशासनिक कार्यवाहियों में अधिरोपित परिनिंदा के दण्ड का पदोन्नति पर प्रभाव भी समाप्त किया जा चुका है।
सीईटी स्कोर की वैधता अब एक के बजाय तीन वर्ष के लिए रहेगी
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री ने कहा कि राजस्थान अधीनस्थ एवं लिपिक वर्गीय सेवा (समान पात्रता परीक्षा) नियम 2022 में सीईटी स्कोर की वैधता अब एक के बजाय तीन वर्ष के लिए रहेगी। इसके लिए नियमों में संशोधन को मंजूरी दी गई है। सीईटी स्कोर की वैधता एक वर्ष होने के कारण हर साल होने वाली अगली सीईटी परीक्षा में अभ्यर्थियों की संख्या बढ़ती चली जा रही थी। अधिक संख्या में आवेदन आने पर बोर्ड को वित्तीय भार और कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए सीईटी स्कोर की वैधता अवधि तीन वर्ष करने का निर्णय किया गया है, जिससे अभ्यर्थियों को भी बड़ी राहत मिलेगी।
गोदारा ने बताया कि राजस्थान जनजाति क्षेत्रीय विकास राज्य एवं अधीनस्थ सेवा नियम, 2001 के अंतर्गत आने वाले छात्रावास अधीक्षक (पुरुष) ग्रेड-2 एवं छात्रावास अधीक्षक (महिला) ग्रेड-2 को समान पात्रता परीक्षा की अनुसूची-1 (स्नातक स्तर) में शामिल किया जा रहा है। इस संशोधन के बाद जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग के पद सीईटी में शामिल किए जा सकेंगे, जिससे परीक्षार्थियों को अधिक पदों पर चयन का अवसर प्राप्त होगा।
राजस्थान पशुपालन अधीनस्थ सेवा नियम 1977 के तकनीकी संवर्ग में पशुधन सहायक को पदोन्नति का तीसरा अवसर उपलब्ध करवाने और इस संवर्ग के पदनामों में परिवर्तन के लिए सेवा नियमों में संशोधन को मंजूरी दी गई है। इस संशोधन के अनुसार तीसरी पदोन्नति का अवसर देने के लिए मुख्य पशुधन प्रसार अधिकारी का नया पद सृजित किया जाएगा। पशुधन सहायक का पदनाम अब पशुधन निरीक्षक, पशुचिकित्सा सहायक का पदनाम पशुधन प्रसार अधिकारी, सहायक सूचना अधिकारी का पदनाम वरिष्ठ पशुधन प्रसार अधिकारी किया जाएगा।
उन्हाेंने बताया कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में दानदाता के सम्मान व अन्य दानदाताओं को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से चूरू के राजकीय महाविद्यालय सिद्धमुख का नामकरण ‘श्रीमती शकुन्तला देवी राजकीय महाविद्यालय, सिद्धमुख करने की स्वीकृति दी गई है।
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हिन्दुस्थान समाचार / रोहित