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जबलपुर/भोपाल, 28 दिसंबर (हि.स.)। राज्य सरकार ने न्यायिक अधिकारियों की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदमों के संबंध में शनिवार को उच्च न्यायालय (हाई कोर्ट) में अपनी रिपोर्ट पेश कर दी है। उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैथ और न्यायमूर्ति विवेक जैन ने अपने आदेश में कहा है कि हर जिले और तहसील स्तर के निगरानी प्रकोष्ठों का भौतिक निरीक्षण कर सत्यापित करें कि रिपोर्ट सही है या नहीं। इस मामले में अब सुनवाई दो महीने बाद तय की गई है।
गौरतलब है कि मंदसौर जिले में 23 जुलाई 2016 को न्यायाधीश राजवर्धन गुप्ता के साथ मारपीट हुई थी। इस मामले में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के तत्कालीन रजिस्ट्रार जनरल मनोहर ममतानी ने जांच रिपोर्ट उच्च न्यायालय में पेश की थी। इसी रिपोर्ट के आधार पर उच्च न्यायालय ने न्यायाधीशों और उनके परिवारों की सुरक्षा पर संज्ञान लेते हुए मामले की सुनवाई जनहित याचिका के रूप में करने के निर्देश जारी किए थे। याचिका पर उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से प्रदेश के कोर्ट परिसरों के चारों ओर पर्याप्त ऊंचाई की बाउंड्रीवॉल, कोर्ट परिसर में पुलिस चौकियां और जजों के आवासीय परिसरों में सुरक्षा व्यवस्था के संबंध में स्टेटस रिपोर्ट मांगी थी।
शनिवार को सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय की युगलपीठ ने यह भी पाया कि पूर्व में पेश की गई स्टेटस रिपोर्ट और उच्च न्यायालय द्वारा पेश किए गए जवाब में अंतर था। इसके बाद राज्य सरकार ने बिना शर्त माफी मांगते हुए बताया कि हलफनामा दायर करने और उच्च न्यायालय की तरफ से पेश किए गए जवाब के बीच समय के कारण आंकड़ों में अंतर होगा।
हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर