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- ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे एक जलविद्युत परियोजना को दी मंजूरी
बीजिंग, 26 दिसंबर (हि.स.)। चीन ने भारतीय सीमा के करीब तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर 137 अरब डॉलर की लागत से दुनिया के सबसे बड़े बांध के निर्माण को मंजूरी दे दी है, जिससे तटवर्ती देशों- भारत और बांग्लादेश में चिंताएं बढ़ गई हैं।
दरअसल, चीन की सरकार ने ऐलान किया है कि वह तिब्बत की सबसे लंबी नदी यारलुंग त्सांगपो (भारत का ब्रम्हपुत्र नद) पर महाशक्तिशाली बांध बनाने जा रही है। इस बांध से चीन के धरती की स्पीड को प्रभावित करने वाले थ्री जॉर्ज बांध से 3 गुना ज्यादा बिजली पैदा होगी। चीन की सरकारी न्यूज एजेंसी शिन्हुआ ने यह जानकारी दी है।
एजेंसी के अनुसार, चीन की सरकार इसे हिमालय के करीब एक विशाल घाटी में बनाने की योजना पर काम कर रही है। इसी स्थान से ब्रह्मपुत्र नदी अरुणाचल प्रदेश और फिर बांग्लादेश की तरफ मुड़ जाती है।
चीनी मीडिया का कहना है कि यह बीजिंग के लिए इंजीनियरिंग की बड़ी चुनौती बनने जा रहा है। सरकार इस बांध को बनाने के लिए 137 अरब डॉलर खर्च करने जा रही है।
बांध निर्माण की घोषणा के बाद कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि यह चीनी बांध धरती पर चल रहे सिंगल इन्फ्रास्ट्रक्चर के किसी भी प्राजेक्ट को बहुत पीछे कर देगा जबकि कुछ विशेषज्ञ इस निर्णय को सोची समझी प्रक्रिया बता रहे हैं। उनका कहना है कि चीन इस दैत्याकार बांध का इस्तेमाल हथियार की तरह उपयोग कर भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में कभी भी बाढ़ ला सकता है।
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हिन्दुस्थान समाचार / आकाश कुमार राय