पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह कांग्रेस के युवा कार्यकर्ताओं को देते थे मान:राघवेन्द्र चौबे
—सोशल मीडिया पर पूर्व प्रधानमंत्री के सादगी के किस्सों को लोग साझा कर रहे,शोक संवेदना का लगा तांता वाराणसी,27 दिसम्बर (हि.स.)। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के निधन से कांग्रेस के स्थानीय कार्यकर्ता और पदाधिकारी शोकाकुल है। सोशल मीडिया के जरिए प
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की काशी में फाइल फोटो


—सोशल मीडिया पर पूर्व प्रधानमंत्री के सादगी के किस्सों को लोग साझा कर रहे,शोक संवेदना का लगा तांता

वाराणसी,27 दिसम्बर (हि.स.)। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के निधन से कांग्रेस के स्थानीय कार्यकर्ता और पदाधिकारी शोकाकुल है। सोशल मीडिया के जरिए पार्टी के नेताओं के साथ आमलोग भी शोक संवेदना जता पूर्व प्रधानमंत्री के सादगी से जुड़े किस्सों को भी साझा कर रहे है।

महानगर कांग्रेस के अध्यक्ष राघवेंद्र चौबे ने शोक संवेदना जताते हुए कहा कि डॉ सिंह का निधन देश और कांग्रेस के लिए बहुत दुखद दिन है। उन्होंने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह अपने जीवन काल में युवा कार्यकर्ताओं को बड़ा मान देते थे। उनका स्नेह हमें भी प्राप्त हुआ था। जब डॉ मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बन कर वर्ष 2008 में सपरिवार काशी आए थे। उस वक्त बीएचयू से जुड़े कार्यक्रम में शामिल होने के लिए उस समय हम युवा कांग्रेस वाराणसी के जिलाध्यक्ष थे । उस वक्त डॉ मनमोहन सिंह का स्नेह ,मार्गदर्शन गंगा आरती के दौरान प्राप्त हुआ था। उसके बाद अन्य सांगठनिक कार्यक्रमों में उनका मार्गदर्शन प्राप्त होता था। वह सौम्य,सरल,सहजता के अत्यंत मिशाल थे उनसे मिलने वाला हर कार्यकर्ता उनके आत्मीयता का कायल रहता था। उनके जाने से राजनीतिक जगत् को अपूरणीय क्षति हुई है, जो भविष्य में भर पाना बेहद मुश्किल है। उन्होंने अपने नेतृत्व में आर्थिक सुधारों से भारत की अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी। उनका योगदान हमेशा याद रखा जाएगा।

— राज्यमंत्री असीम अरूण ने भी सादगी के किस्से को सोशल मीडिया पर किया साझा

प्रदेश के राज्यमंत्री और आतंकवाद निरोधक दस्ता (ए०टी०एस०), उत्तर प्रदेश के प्रमुख रहे असीम अरूण ने भी पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह से जुड़ी स्मृतियों और सादगी के किस्सों को सोशल मीडिया के जरिए साझा किया है। उन्होंने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा है कि मैं 2004 से लगभग तीन साल उनका बॉडी गार्ड रहा। एसपीजी में प्रधानमंत्री की सुरक्षा का सबसे अंदरुनी घेरा होता है । क्लोज़ प्रोटेक्शन टीम जिसका नेतृत्व करने का अवसर मुझे मिला था। एआईजी सीपीटी वो व्यक्ति है जो पीएम से कभी भी दूर नहीं रह सकता। यदि एक ही बॉडी गार्ड रह सकता है तो साथ यह बंदा होगा। ऐसे में उनके साथ उनकी परछाई की तरह साथ रहने की जिम्मेदारी थी मेरी।

डॉ साहब की अपनी एक ही कार थी - मारुति 800, जो पीएम हाउस में चमचमाती काली बीएमडब्ल्यू के पीछे खड़ी रहती थी। मनमोहन सिंह जी बार-बार मुझे कहते- असीम, मुझे इस कार में चलना पसंद नहीं, मेरी गड्डी तो यह है (मारुति)। मैं समझाता कि सर यह गाड़ी आपके ऐश्वर्य के लिए नहीं है, इसके सिक्योरिटी फीचर्स ऐसे हैं जिसके लिए एसपीजी ने इसे लिया है। लेकिन जब कारकेड मारुति के सामने से निकलता तो वे हमेशा मन भर उसे देखते। जैसे संकल्प दोहरा रहे हो कि मैं मिडिल क्लास व्यक्ति हूं और आम आदमी की चिंता करना मेरा काम है। करोड़ों की गाड़ी पीएम की है, मेरी तो यह मारुति है।

—काशी में अन्तिम बार पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह वर्ष 2008 में आए थे

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह काशी में अन्तिम बार वर्ष 2008 में आए थे। बीएचयू के 90वें दीक्षांत समारोह में 15 मार्च 2008 को पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह शामिल ​हुए थे। समारोह में उन्हें बीएचयू की डॉक्टरेट की मानद उपाधि दी गई थी। उनके साथ उनकी पत्नी गुरशरन कौर भी मौजूद रहीं। बीएचयू के दीक्षांत समारोह में भाग लेने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह दशाश्वमेधघाट पर विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती में भी शामिल हुए थे। गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशांत मिश्र के अनुसार प्रोफेसर चंद्रमौली उपाध्याय व आचार्य श्रीधर पाण्डेय ने डॉ मनमोहन सिंह को मां गंगा का पूजन कराया था। गंगा सेवा निधि के संस्थापक अध्यक्ष अब स्मृति शेष पंडित सतेंद्र मिश्र व संस्थापक सदस्य इंदु शेखर शर्मा ने उनका स्वागत किया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री ने जल पुलिस कार्यालय के पास से ही मां गंगा को प्रणाम किया था।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी