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नई दिल्ली, 27 दिसंबर (हि.स.)।पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन के बाद कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं उनके सहयोगी रहे जयराम रमेश ने सोशल मीडिया एक्स पर एक अत्यंत भावुक पोस्ट लिखकर उन्हें याद किया।
जयराम रमेश ने लिखा, एक अत्यंत पूर्ण और असाधारण रूप से प्रतिष्ठित जीवन समाप्त हो गया। मुख्य आर्थिक सलाहकार, वित्त सचिव, आरबीआई गवर्नर, योजना आयोग के उपाध्यक्ष, वित्त मंत्री और भारत के प्रधानमंत्री। ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज दोनों के पूर्व छात्र। 1956 में कैम्ब्रिज में प्रतिष्ठित एडम स्मिथ पुरस्कार के विजेता। मृदुभाषी, शांत और हमेशा गरिमामय, उनका दृढ़ संकल्प था। वे अपने 1991, 1992 और अन्य बजटों के माध्यम से भारतीय अर्थव्यवस्था के तकनीकी परिवर्तनकर्ता थे। उनके प्रधानमंत्रित्वकाल में ग्रामीण रोजगार, आदिवासी अधिकार, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और ओबीसी के लिए आरक्षण, प्राथमिक शिक्षा, खाद्य सुरक्षा और भूमि अधिग्रहण से संबंधित क्रांतिकारी कानून बने। भारत-अमेरिका परमाणु समझौता एक मील का पत्थर था, जिसने भारत की वैश्विक स्थिति को बढ़ाया। उनके प्रधानमंत्रित्व काल में देश के इतिहास में सबसे अधिक जीडीपी विकास दर देखी गई।
जयराम रमेश ने आगे लिखा, वे दिल से एक सज्जन व्यक्ति थे, और उनमें किसी के प्रति कोई दुर्भावना या द्वेष नहीं था। वे संवाद, आम सहमति और कठिन परिस्थितियों में भी सामंजस्य की राजनीति में विश्वास करते थे और उसका पालन करते थे। विनम्रता और ईमानदारी उनकी पहचान थी। जो लोग उन्हें बदनाम करना चाहते थे, उन्होंने अपना असली चेहरा दिखाया। प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने जो पहल की, उनमें से कई को उनके उत्तराधिकारी के योगदान के रूप में प्रचारित, प्रसारित और पेश किया गया। लेकिन डॉ. सिंह ने कभी इस पर ध्यान नहीं दिया और हमेशा अपनी खास मुस्कान के साथ पेश आते रहे। उन्होंने मुझे सितंबर 1986 में योजना आयोग में भर्ती किया और तब से यह मेरा सौभाग्य रहा कि मैं अगले 38 वर्षों तक उनके साथ घनिष्ठ रूप से जुड़ा रहा। अपने अनोखे और विशिष्ट तरीके से, डॉ. मनमोहन सिंह ने हमारे इतिहास पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है।
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हिन्दुस्थान समाचार / दधिबल यादव