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- 28 दिसंबर को सुबह 8 बजे डा. सिंह का पार्थिव शरीर एआईसीसी मुख्यालय ले जाया जाएगा
नई दिल्ली, 27 दिसंबर (हि.स.)। दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार शनिवार को 11.45 बजे निगम बोध घाट पर राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसका हवाला देते हुए रक्षा मंत्रालय से पूर्ण सैन्य सम्मान के साथ उनका राजकीय अंतिम संस्कार किए जाने की व्यवस्था करने का अनुरोध किया है। इससे पहले आज कांग्रेसाध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री से डा. मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार और उनके स्मारक के लिए जगह दिए जाने की मांग की थी, इसलिए कांग्रेस नेताओं में सरकारी निर्णय को लेकर नाराजगी है।
गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव (सार्वजनिक) जी पार्थसारथी ने रक्षा मंत्रालय के संयुक्त सचिव (समन्वय) मयंक तिवारी को लिखे पत्र में कहा है, "पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का 26 दिसंबर, 2024 को रात 9.51 बजे एम्स अस्पताल, नई दिल्ली में निधन हो गया। सरकार ने निर्णय लिया है कि डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। अंतिम संस्कार 28 दिसंबर, 2024 को पूर्वाह्न 11:45 बजे निगमबोध घाट, नई दिल्ली में होगा। रक्षा मंत्रालय से अनुरोध है कि वह पूर्ण सैन्य सम्मान के साथ राजकीय अंतिम संस्कार की व्यवस्था करे।"
कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल के अनुसार पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का पार्थिव शरीर आज जनता के अंतिम दर्शन के लिए उनके निवास स्थान 3, मोतीलाल नेहरू रोड, नई दिल्ली पर रखा गया है। कल 28 दिसंबर को सुबह 8 बजे उनका पार्थिव शरीर एआईसीसी मुख्यालय ले जाया जाएगा और जनता तथा कांग्रेस कार्यकर्ताओं को कल सुबह 8.30 से 9.30 बजे के बीच श्रद्धांजलि अर्पित करने का अवसर मिलेगा। डॉ. सिंह की अंतिम यात्रा कल सुबह 9.30 बजे एआईसीसी मुख्यालय से श्मशान घाट के लिए शुरू होगी।
उधर, डा. मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार के लिए निगमबोध घाट पर व्यवस्था किए जाने की बाबत गृह मंत्रालय के इस पत्र के बाद कांग्रेस नेताओं ने नाराजगी जतानी शुरू कर दी है। आज कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में अलग जगह दिए जाने पर भी चर्चा हुई।
कांग्रेस नेता अलका लांबा ने कहा, "सरदार मनमोहन सिंह जी का अंतिम संस्कार निगम बोध घाट पर होना कैसे उचित हो सकता है ?? उनके कद के मुताबिक़ यह कतई भी उचित स्थान नहीं है। ऐसा करना उनके सम्मान के ख़िलाफ़ जाना होगा। ऐसा पहले कभी किसी पूर्व प्रधानमंत्री के साथ नहीं हुआ। पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी इसका ताजा उदाहरण हैं, जिनका अंतिम संस्कार और स्मारक उचित स्थान पर बनाया गया। केंद्र सरकार का यह फैसला दुर्भाग्यपूर्ण और आहत पहुंचाने वाला है।"
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हिन्दुस्थान समाचार / दधिबल यादव