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मंडी, 26 दिसंबर (हि.स.)। मंडी के बहुचर्चित मामले जिसमें बल्ह क्षेत्र के गांव गुटकर निवासी युवक ऋषि राज पठानिया ने 2 अप्रैल 2024 को उस समय सुकेती खड्ड में छलांग लगा दी थी जब चिट्टा मामले में पुलिस ने उसे पकड़ा था व हिरासत में लेकर जांच की जा रही थी और फिर चार दिन बाद ऋषि राज की सुकेती खड्ड में मंडी शहर के साथ लगते पुलघराट के पास सुकेती खड्ड में लाश मिली थी, में प्रदेश उच्च न्यायालय ने पुलिस जांच व अधिकारियों पर कई सवाल खड़े करते हुए इसकी उच्च स्तरीय जांच करवाने के आदेश दिए है।
ऋषि राज को चिट्टा मामले में पुलिस ने पकड़ा था और बाद में उसने पुलिस के सामने ही सुकेती खड्ड में छलांग लगा दी थी। उसी रात ऋषि राज के पिता गुटकर निवासी बलबीर पठानिया से से किसी ने उसके बेटे को छोड़ने की एवज में पैसे की मांग भी की थी मगर दूसरे दिन जब ऋषि राज पुलिस हिरासत में नहीं था तो यह मामला संदेहजनक हो गया था। इसी को लेकर बलबीर पठानिया ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। जहां से उच्च न्यायालय ने जांच करने वाले पुलिस अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठाए हैं।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस तरलोक सिंह चौहान व जस्टिस सत्येन वैद्य की पीठ ने ऋषि राज के पिता बलबीर सिंह पठानिया की याचिका पर सुनवाई करते हुए पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए, पुलिस जांच को साफ तौर पर संवैधानिक अधिकारों का सीधा उल्लंघन बताया। यही नहीं अदालत ने हैरानी जताई कि एनडीपीएस एक्ट व पुलिस हिरासत से भागने के मामले में पुलिस ने दो अलग अलग एफआईआर क्यों दर्ज की। जांच के दौरान रात को 10 बजे ऋषि राज ने पुलिस की जांच के दौरान सुकेती खड्ड में छलांग लगाई मगर इसकी एफआईआर सुबह 4 बजे दर्ज की गई।
पुलिस की जांच पर सवाल उठाते हुए उच्च न्यायालय ने गृह सचिव हिमाचल सरकार को आदेश दिए कि इस सारे मामले में पुलिस अधिकारियों ने जो जांच की है वह संदेहजनक है। इसकी नए सिरे से जांच हो, यह जांच एसपी रैंक के अधिकारी से आईजी की देख रेख में करवाई जाए।
मामले की अगली सुनवाई 10 मार्च 2025 को होगी।
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हिन्दुस्थान समाचार / मुरारी शर्मा