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नई दिल्ली, 26 दिसंबर (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को देशभर में फैली एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की प्रमुख परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा के लिए प्रगति बैठक की अध्यक्षता की।
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि केन्द्र और राज्य स्तर पर सभी सरकारी अधिकारियों को यह समझना होगा कि परियोजनाओं में देरी से न केवल लागत बढ़ती है बल्कि जनता को अपेक्षित लाभ मिलने में भी बाधा आती है।
प्रधानमंत्री मोदी ने गुरुवार को प्रगति के 45वें संस्करण की बैठक की अध्यक्षता की। यह केन्द्र और राज्य सरकारों को शामिल करते हुए सक्रिय शासन और समयबद्ध कार्यान्वयन के लिए आईसीटी-आधारित मल्टी-मॉडल प्लेटफॉर्म है।
बयान में कहा गया कि बैठक में आठ महत्वपूर्ण परियोजनाओं की समीक्षा की गई, जिनमें शहरी परिवहन की छह मेट्रो परियोजनाएं एवं सड़क संपर्क तथा ताप विद्युत से संबंधित एक-एक परियोजना शामिल थी। विभिन्न राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों में फैली इन परियोजनाओं की संयुक्त लागत एक लाख करोड़ रुपये से अधिक है।
बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री ने बैंकिंग और बीमा क्षेत्र से जुड़ी जन शिकायतों की भी समीक्षा की। प्रधानमंत्री ने शिकायतों के निपटान में लगने वाले समय में कमी पर भी ध्यान दिया और शिकायतों के निपटान की गुणवत्ता पर भी जोर दिया।
बयान में कहा गया है कि अधिकाधिक शहरों में मेट्रो परियोजनाएं पसंदीदा सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों में से एक बन गई हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री ने उन शहरों में अनुभव साझा करने के लिए कार्यशालाएं आयोजित करने की सलाह दी, जहां परियोजनाएं कार्यान्वित की जा रही हैं या पाइपलाइन में हैं, ताकि अनुभवों से सर्वोत्तम प्रथाओं और सीखों को हासिल किया जा सके।
समीक्षा के दौरान प्रधानमंत्री ने परियोजनाओं के क्रियान्वयन के दौरान परियोजना प्रभावित परिवारों के समय पर पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने नए स्थान पर गुणवत्तापूर्ण सुविधाएं प्रदान करके ऐसे परिवारों के लिए जीवनयापन को आसान बनाने को भी कहा।
प्रधानमंत्री ने प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ़्त बिजली योजना की भी समीक्षा की। उन्होंने गुणवत्तापूर्ण विक्रेता पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करके राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों में छतों की स्थापना की क्षमता बढ़ाने का निर्देश दिया। उन्होंने मांग सृजन से लेकर छतों पर सौर ऊर्जा के संचालन तक की प्रक्रिया में लगने वाले समय को कम करने का भी निर्देश दिया। उन्होंने राज्यों को चरणबद्ध तरीके से गांवों, कस्बों और शहरों के लिए संतृप्ति दृष्टिकोण अपनाने का भी निर्देश दिया।
बयान में कहा गया कि प्रगति बैठकों के 45वें संस्करण तक लगभग 19.12 लाख करोड़ रुपये की कुल लागत वाली 363 परियोजनाओं की समीक्षा की गई है।
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हिन्दुस्थान समाचार / सुशील कुमार