आर्थिक वृद्धि को बनाये रखने की आवश्‍यकता, तीसरी तिमाही होगी बेहतर: वित्त मंत्रालय
नई दिल्ली, 26 दिसंबर (हि.स.)। वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच आर्थिक वृद्धि को बनाये रखने के लिए सभी संबंधित पक्षों को मिलकर काम करने की जरूरत होगी। चालू वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में नरमी के बाद तीसरी तिमाही (अक्‍टूबर-दिसंबर) का परिदृश्य बेहतर
वित्त4 मंत्रालय के लोगो का प्रतीकात्मक चित्र


वित्त  मंत्रालय के लोगो का प्रतीकात्मक चित्र


नई दिल्ली, 26 दिसंबर (हि.स.)। वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच आर्थिक वृद्धि को बनाये रखने के लिए सभी संबंधित पक्षों को मिलकर काम करने की जरूरत होगी। चालू वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में नरमी के बाद तीसरी तिमाही (अक्‍टूबर-दिसंबर) का परिदृश्य बेहतर दिखाई दे रहा है। वित्त मंत्रालय की नवंबर 2024 की जारी मासिक रिपोर्ट में यह बात कही गई है।

वित्त मंत्रालय ने गुरुवार को नवंबर महीने की जारी अपनी मासिक रिपोर्ट में कहा है कि देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर में चालू वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में नरमी आई है, जो कम होकर 5.4 फीसदी पर रही है। मंत्रालय ने कहा कि दूसरी तिमाही में नरमी के बाद तीसरी तिमाही का परिदृश्य बेहतर दिखाई दे रहा है। इसका पता अक्टूबर और नवंबर महीने के लिए महत्वपूर्ण आंकड़ों वस्‍तु एवं सेवाकर (जीएसटी) संग्रह और पीएमआई आदि से चलता है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि, जलाशय में जल स्तर का अधिक होना और पर्याप्त उर्वरक उपलब्धता रबी बुवाई के लिए अच्छा संकेत है। कुल मिलाकर औद्योगिक गतिविधियों में तेजी आने की संभावना है।

रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी छमाही में वृद्धि परिदृश्य पहली छमाही के मुकाबले बेहतर है…। इसमें कहा गया है कि मांग में नरमी का कारण संभवत: केंद्रीय बैंक का मौद्रिक नीति रुख और विवेकपूर्ण उपाय हो सकते हैं। मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार अच्छी खबर है कि केंद्रीय बैंक ने दिसंबर, 2024 में अपनी मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की समीक्षा बैठक में नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) को 4.5 फीसदी से घटाकर चार फीसदी कर दिया। इससे कर्ज वृद्धि को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी, जो वित्त वर्ष 2024-25 में कुछ धीमी हुई है। रिपोर्ट के अनुसार अगामी वित्त वर्ष 2025-26 को देखा जाए तो नई अनिश्चितताएं सामने आई हैं और वैश्विक व्यापार वृद्धि पहले की तुलना में अधिक अनिश्चित दिख रही है।

पीएमआई के संबंध में रिपोर्ट में कहा गया है कि अक्टूबर और नवंबर महीने के आंकड़े यह बताते हैं कि कंपनियों के नए ऑर्डर में वृद्धि हो रही है और मांग मजबूत है। इसके साथ ही वे विस्तार कर रहे हैं। यह रिपोर्ट कहती है कि सरकारी पूंजीगत व्यय में अपेक्षित वृद्धि से सीमेंट, लोहा, इस्पात, खनन और बिजली क्षेत्रों को समर्थन मिलने की उम्मीद है। हालांकि, कई प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में अनिश्चितताओं और आक्रामक नीतियों से घरेलू वृद्धि को खतरा है। वहीं, मांग पक्ष के बारे में इसमें कहा गया है कि ग्रामीण मांग मजबूत बनी हुई है।

वित्‍त मंत्रालय की मासिक रिपोर्ट कहती है कि अक्टूबर-नवंबर, 2024 के दौरान दोपहिया और तिपहिया वाहनों की बिक्री और घरेलू ट्रैक्टर की बिक्री में क्रमशः 23.2 फीसदी और 9.8 फीसदी की वृद्धि से इसका अनुमान लगाया जा सकता है। वहीं, शहरी मांग बढ़ रही है। अक्टूबर-नवंबर, 2024 में यात्री वाहनों की बिक्री में सालाना आधार पर 13.4 फीसदी की वृद्धि हुई। घरेलू हवाई यात्री यातायात में मजबूत वृद्धि दर्ज की गई है। रिपोर्ट के अनुसार रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर 4.8 फीसदी रहने का अनुमान जताया है। जबकि तीसरी तिमाही में इसके 5.7 फीसदी और चौथी तिमाही में 4.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि कृषि क्षेत्र का दृष्टिकोण आशावादी है। इससे उम्मीद बंधी है कि खाद्य कीमतों का दबाव धीरे-धीरे कम होगा। हालांकि, इसमें यह भी कहा गया है कि घरेलू शेयर बाजार का ऊंचा स्तर एक बड़ा जोखिम पैदा कर रहा है। डॉलर की मजबूती और अमेरिका में नीतिगत दर के बारे में पुनर्विचार ने उभरते बाजार की मुद्राओं को दबाव में ला दिया है। इससे उभरती अर्थव्यवस्थाओं में मौद्रिक नीति-निर्माता नीतिगत दरों के बारे में और अधिक गहराई से सोचेंगे। नवंबर महीने की जारी मासिक रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल मिलाकर वृद्धि को बनाये रखने के लिए सभी संबंधित पक्षों को मिलकर और प्रतिबद्ध होकर काम करने की जरूरत होगी।

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हिन्दुस्थान समाचार / प्रजेश शंकर