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नई दिल्ली, 26 दिसंबर (हि.स.)। वक्फ (संशोधन) विधेयक पर विचार कर रही संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) ने कर्नाटक, मध्य प्रदेश और राजस्थान के अधिकारियों को वक्फ संपत्तियों से संबंधित जानकारी मुहैया कराने के लिए 15 दिनों का समय दिया है।
भारतीय जनता पार्टी सांसद जगदम्बिका पाल की अध्यक्षता वाली समिति के सामने इन तीनों राज्यों के अल्पसंख्यक मामलों के प्रमुख सचिव तथा राजस्व सचिव उपस्थित हुए। वक्फ (संशोधन) विधेयक पर विचार कर रही संसद की संयुक्त समिति ने कर्नाटक, मध्य प्रदेश और राजस्थान के अधिकारियों को वक्फ संपत्तियों से संबंधित जानकारी उपलब्ध कराने के लिए 15 दिन का समय दिया है।
बैठक के बाद समिति के अध्यक्ष जगदम्बिका पाल ने मीडिया को बताया कि अधिकारियों द्वारा वक्फ संपत्तियों से संबंधित सवालों का जवाब गुरुवार को नहीं दिया जा सका, ऐसे में उन्हें 15 दिनों का समय दिया गया है।
उन्होंने बताया कि इन अधिकारियों को प्रश्नावली दी गई है और जवाब संतोषजनक नहीं होने पर उन्हें फिर से बुलाया जा सकता है।
उन्होंने बताया, ‘‘मध्य प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान के अल्पसंख्यक मामलों के विभागों के प्रमुख सचिवों और राजस्व सचिवों को बुलाया था। हमने उनसे पहले सवाल भी किया था कि कितनी वक्फ संपत्तियां पंजीकृत हैं, ‘वामसी’ पोर्टल पर कितनी संपत्तियां अपलोड हुई हैं, कितनी संपत्तियां पोर्टल पर अपलोड नहीं हैं, संपत्तियों से कितनी आय हो रही है?’’ लेकिन आज भी जवाब नहीं मिला। इसलिए उन्हें और समय दिया गया है। उन्होंने बताया कि समिति जल्द ही पश्चिम बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश का दौरा करेगी। इस बारे में लोकसभा अध्यक्ष से अनुमति ली जाएगी।
समिति के अध्यक्ष पाल ने इस बात पर नाराजगी जताई कि कर्नाटक से पूरा सहयोग नहीं मिल रहा है।
कर्नाटक में कुछ किसानों की जमीन पर वक्फ बोर्ड के दावे से जुड़ा विवाद हाल में खड़ा हुआ था।
संयुक्त समिति की बैठक शुक्रवार को भी होगी। इस बैठक में
दिल्ली के खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री इमरान हुसैन सहित उत्तर प्रदेश और ओडिशा के अधिकारी भी समिति के समक्ष उपस्थित होंगे।
उल्लेखनीय है कि लोकसभा ने 28 नवंबर को इस संयुक्त समिति का कार्यकाल अगले साल बजट सत्र के आखिरी दिन तक के लिए बढ़ाने की मंजूरी दी थी।
सरकार ने वक्फ बोर्ड को नियंत्रित करने वाले कानून में संशोधन से संबंधित विधेयक गत 8 अगस्त को लोकसभा में पेश किया था जिसे सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के बीच तकरार के बाद संयुक्त समिति को भेजने का फैसला हुआ था।
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हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी