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- कर्नाटक के बेलगावी स्थित गांधी नगर में हुई कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में पारित हुआ नव सत्याग्रह प्रस्ताव- कल बेलगावी में एक रैली से होगी ‘जय भीम जय संविधान’ अभियान की शुरुआत- 26 जनवरी 2025 को गणतंत्र की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ पर महू में होगी रैली
- 26 जनवरी से होगी 'संविधान बचाओ राष्ट्रीय पद यात्रा' की शुरुआत
नई दिल्ली, 26 दिसंबर (हि.स.)। कर्नाटक के बेलगावी में आज हुई कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में दो प्रस्ताव प्रमुखता से पारित किए गए। पहला-महात्मा गांधी पर और दूसरा देश की राजनीतिक स्थिति पर। पार्टी बड़े पैमाने पर संगठनात्मक सुधार करेगी और यह काम तुरंत शुरू हो जाएगा। बैठक के बाद यह जानकारी पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल ने पत्रकारों को दी।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस कार्य समिति और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस देश के संविधान और स्वतंत्रता आंदोलन के आदर्शों की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। इसी के अनुरूप भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ‘जय भीम जय संविधान’ अभियान शुरू करेगी। इस अभियान की शुरुआत 27 दिसंबर को बेलगावी में एक रैली से होगी। इसका समापन 26 जनवरी, 2025 को संविधान के लागू होने और गणतंत्र की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ पर महू में एक रैली से होगा। इस एक महीने के दौरान हर राज्य, ज़िले और ब्लॉक में भी रैलियां आयोजित की जाएंगीं और मार्च निकाले जाएंगे।
महात्मा गांधी की विरासत के साथ संविधान की विरासत को संरक्षित, सुरक्षित और बढ़ावा देने की आवश्यकता को देखते हुए, यह आंदोलन 26 जनवरी, 2025 से आगे भी जारी रहेगा। 26 जनवरी, 2025 और 26 जनवरी, 2026 के बीच, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस संविधान बचाओ राष्ट्रीय पदयात्रा नामक एक विशाल, राष्ट्रव्यापी जनसंपर्क अभियान शुरू करेगी, जिसमें सभी नेता भाग लेंगे। यह पदयात्रा रिले के रूप में गांव-गांव, कस्बे-कस्बे तक जाएगी। अप्रैल 2025 के पहले या दूसरे हफ़्ते में गुजरात में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति का सत्र आयोजित किया जाएगा।
बैठक में सीडब्ल्यूसी ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ठीक एक महीने बाद जब हम अपने गणतंत्र के 75वें वर्ष में प्रवेश करने जा रहे हैं, तब संविधान को अब तक के सबसे गंभीर ख़तरे का सामना करना पड़ रहा है। जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि संविधान के निर्माण की डॉ. आंबेडकर से अधिक ज़िम्मेदारी किसी और ने नहीं उठाई। केंद्रीय गृह मंत्री द्वारा संसद में किया गया डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर का अपमान संविधान को कमज़ोर करने के संघ-भाजपा के दशकों पुराने प्रोजेक्ट का सबसे ताज़ा उदाहरण है। कार्यसमिति ने केंद्रीय गृह मंत्री के इस्तीफ़े के साथ-साथ देश से माफी मांगने की मांग दोहराई है।
सीडब्ल्यूसी ने लोकतंत्र में लगातार आ रही गिरावट पर चिंता जताते हुए कहा कि न्यायपालिका, चुनाव आयोग और मीडिया जैसी संस्थाओं का कार्यपालिका के दबाव के माध्यम से राजनीतिकरण किया गया है। संसद की साख को ख़त्म कर दिया गया है। हाल में संपन्न 2024 के शीतकालीन सत्र में सत्ता पक्ष द्वारा जिस तरह कार्यवाही में बाधा डाली गई, उसे पूरे देश ने देखा। संविधान के संघीय ढांचे पर लगातार हमले हो रहे हैं। केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए एक राष्ट्र, एक चुनाव विधेयक से इसे विशेष रूप से ख़तरा है।
बैठक में चुनाव आयोग की सिफारिश पर चुनाव संचालन नियम 1961 में किए गए केंद्र के संशोधन की निंदा की गई। कहा गया कि यह पारदर्शिता और जवाबदेही के सिद्धांतों को कमजोर करता है जो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों की आधारशिला हैं। हमने इन संशोधनों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। ख़ासकर के हरियाणा और महाराष्ट्र में जिस तरह से चुनाव कराए गए हैं, उसने पहले ही चुनावी प्रक्रिया की सत्यनिष्ठा को खत्म कर दिया है।
बैठक में मणिपुर और संभल के मुद्दे पर चर्चा करते हुए राज्य प्रायोजित सांप्रदायिक और जातीय घृणा पर चिंता व्यक्त की गई। असम और उप्र जैसे भाजपा शासित राज्यों में प्रदर्शनकारियों की जान जाने की निंदा की गई। बैठक में सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना जल्द कराने, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, और ओबीसी के लिए आरक्षण की 50% सीमा को बढ़ाने की मांग की गई। कहा गया कि आरक्षण उचित माध्यमों से निर्धारित सामाजिक, आर्थिक, या शैक्षिक पिछड़ेपन के आधार पर होना चाहिए।
अर्थव्यवस्था में मंदी और आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में भी भारी वृद्धि की चर्चा करते हुए कहा गया कि मोदी सरकार की आर्थिक नीतियां केवल प्रधानमंत्री के कुछ पसंदीदा व्यापारिक समूहों को समृद्ध करने के लिए बनाई गई हैं। अर्थव्यवस्था में चंद लोगों के एकाधिकार बढ़ रहे हैं। भारत के पूंजी बाजार में बड़े पैमाने पर लोगों की हिस्सेदारी है, लेकिन नियामकों की ईमानदारी पर गंभीर सवाल उठे हैं। सरकार से मांग की गई कि आगामी केंद्रीय बजट का इस्तेमाल गरीबों को आय सहायता और मध्यम वर्ग के लिए कर राहत प्रदान करने के लिए करे। जीएसटी 2.0 की मांग दोहराई गई जो कि सही मायने में एक गुड और सिंपल टैक्स हो। उद्योग, व्यापार और वाणिज्य पर कर आतंकवाद समाप्त होना चाहिए।
कृषि और ग्रामीण रोजगार की घोर उपेक्षा के लिए केंद्र सरकार की तीखी आलोचना की गई। एमएसपी और किसानों की आय दोगुनी करने जैसे वादे आज भी अधूरे हैं। मनरेगा के लिए पर्याप्त फंड के साथ-साथ इसकी मजदूरी दर को 400 रुपए प्रति दिन तक बढ़ाया जाए। पूर्वी लद्दाख में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच पीछे हटने के संबंध में विदेश मंत्री की घोषणा पर सोच-विचार किया है। यह अप्रैल 2020 के पहले की स्थिति बहाल करने के भारत के घोषित लक्ष्य से बेहद कम है और दशकों में लगे देश के सबसे बड़े क्षेत्रीय झटके को दर्शाता है। सरकार विपक्ष को विश्वास में ले और एलएसी की स्थिति के संबंध में संसद में व्यापक चर्चा होने दे। बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हमलों में हालिया वृद्धि पर चिंता व्यक्त की गई और केंद्र सरकार से उनकी सुरक्षा और बेहतरी सुनिश्चित करने के लिए बांग्लादेश सरकार के साथ काम करने का पुरजोर आग्रह किया गया।
कार्यसमिति की बैठक में लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, कांग्रेस कोषाध्यक्ष अजय माकन, संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, प्रभारी महासचिव रणदीप सुरजेवाला, कर्नाटक, तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री, सीडब्ल्यूसी सदस्य, स्थायी और विशेष आमंत्रित सदस्य, पूर्व मुख्यमंत्री, पीसीसी अध्यक्ष और देश भर से कांग्रेस विधायक दल के नेता उपस्थित रहे।
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हिन्दुस्थान समाचार / दधिबल यादव