सफलता के भ्रामक दावे करने वाले तीन कोचिंग इंस्टीट्यूट पर गिरी गाज, सीसीपीए ने लगाया जुर्माना 
नई दिल्ली, 26 दिसंबर (हि.स.)। केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की सिविल सेवा परीक्षा (सीएसई) 2022 और 2023 के परिणामों के संबंध में भ्रामक दावों का विज्ञापन करने के लिए वाजीराव एंड रेड्डी इंस्टीट्यूट और स्ट
सीसीपीए के लोगो का प्रतीकात्मक चित्र


सीसीपीए के लोगो का प्रतीकात्मक चित्र


नई दिल्ली, 26 दिसंबर (हि.स.)। केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की सिविल सेवा परीक्षा (सीएसई) 2022 और 2023 के परिणामों के संबंध में भ्रामक दावों का विज्ञापन करने के लिए वाजीराव एंड रेड्डी इंस्टीट्यूट और स्टडीआईक्यू आईएएस पर 7-7 लाख रुपये और एज आईएएस पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।

खाद्य, सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने गुरुवार को एक बयान में बताया कि मुख्य आयुक्त निधि खरे और आयुक्त अनुपम मिश्रा की अध्यक्षता में केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के उल्लंघन के लिए यह जुर्माना लगाया है। इसके साथ ही सीसीपीए ने तत्काल प्रभाव से वाजीराव एंड रेड्डी इंस्टीट्यूट, स्टडीआईक्यू आईएएस स्टडी और एज आईएएस को भ्रामक विज्ञापन बंद करने का आदेश दिया है।

प्राधिकरण ने उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा और उन्हें बढ़ावा देने के लिए यह कार्रवाई की है। इससे यह भी सुनिश्चित होगा कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के प्रावधानों का उल्लंघन करने वाले किसी भी सामान या सेवा के लिए कोई गलत या भ्रामक विज्ञापन न किया जाए। सीसीपीए की जांच के अनुसार वाजीराव एंड रेड्डी इंस्टीट्यूट ने अपने विज्ञापन में निम्नलिखित दावे किए हैं:-

यूपीएससी सीएसई 2022 में 933 में से 617 चयन,

टॉप 10 एआईआर में 7, टॉप 20 एआईआर में 16,

टॉप 50 एआईआर में 39,

टॉप 100 एआईआर में 72,

भारत में शीर्ष यूपीएससी कोचिंग संस्थानों की सूची में हम पहले स्थान पर हैं।

सीसीपीए ने जांच में पाया कि वाजीराव एंड रेड्डी इंस्टीट्यूट ने सफल उम्मीदवारों के नाम और तस्वीरें प्रमुखता से प्रदर्शित कीं हैं। इसके साथ ही अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर विभिन्न प्रकार के सशुल्क पाठ्यक्रमों का विज्ञापन भी किया। हालांकि यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2022 में उक्त सफल उम्मीदवारों द्वारा चुने गए पाठ्यक्रम के संबंध में जानकारी उपर्युक्त विज्ञापन में जारी नहीं की गई थी।

सीसीपीए ने जांच में पाया कि दावा किए गए सभी 617 सफल उम्मीदवार साक्षात्कार मार्गदर्शन कार्यक्रम के अंतर्गत नामांकित थे। यह उपभोक्ता का अधिकार है कि उसे इस बारे में जानकारी मिले कि सफल उम्मीदवारों ने सीएसई के अंतिम चयन में जगह बनाने के लिए कोचिंग संस्थान से कौन सा विशिष्ट पाठ्यक्रम लिया था। संभावित उपभोक्ताओं के लिए यह जानकारी सीएसई में उनकी सफलता के लिए चुने जाने वाले पाठ्यक्रम के बारे में निर्णय लेने में सहायक होगी।

उल्‍लेखनीय है कि कोचिंग संस्थानों द्वारा भ्रामक विज्ञापन देने के खिलाफ सीसीपीए ने इससे पहले कार्रवाई की थी। इस संबंध में सीसीपीए ने अब तक विभिन्न कोचिंग संस्थानों को भ्रामक विज्ञापन देने के लिए 45 नोटिस जारी किए हैं। इसके अलावा सीसीपीए ने 22 कोचिंग संस्थानों पर 71 लाख 60 हजार का जुर्माना लगाया है, उन्हें भ्रामक विज्ञापन बंद करने के निर्देश भी दिए हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / प्रजेश शंकर