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लखनऊ, 26 दिसम्बर(हि.स.)। लखनऊ में इंदिरा भवन स्थित उप्र सिंधी अकादमी कार्यालय में गुरुवार को अटल जी एवं सुशासन-सिंधी संस्कृति विषयक संगोष्ठी में वक्ता दुनीचंद चंदानी ने कहा कि अटल जी के व्यक्तित्व का कैनवास बहुत बड़ा है, उनके जीवन चरित्र को एक घंटे की संगोष्ठी में समेटा नहीं जा सकता। राजनीति में अजातशत्रु थे अटल जी, उनका कोई शत्रु नहीं था।
संगोष्ठी में दुनीचंद चंदानी ने कहा कि सन् 1995 संयुक्त राष्ट्र में जाकर अटल जी ने पाकिस्तान को अपने भाषण से हराया था। अटल जी स्वयं प्रधानमंत्री रहते हुए चतुर्भुज योजना ले कर आये, जिसमें लोगों की सड़कों पर चलने की दिक्कतों को उन्होंने दूर किया। गठबंधन की सरकार के बावजूद अटल जी ने पन्द्रह हजार किलोमीटर सड़कें बनायी। इसी सूत्र पर चलकर प्रधानमंत्री मोदी और केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी आज भारत को आगे बढ़ा रहे हैं। अटल जी के पदचिन्हों पर चलकर प्रधानमंत्री मोदी ने विकसित भारत का संकल्प लिया है।
वक्ता प्रकाश गोधवानी ने कहा कि अटल जी के प्रधानमंत्री कार्यकाल में जो सुशासन किया गया, वह आज भी अनुकरणीय व उपयोगी है। अटल जी ने राजनीति में मिलकर कार्य करने की शैली विकसित की। अटल बिहारी की कविता की पंक्तियां गीत नया गाता हूं, टूटे हुए सपनों की कौन सुने सिसकी, अन्तर की चीर व्यथा पलकों पर ठिठकी, हार नहीं मानूंगा, रार नई ठानूंगा, काल के कपाल पर लिखता मिटाता हूं, गीत नया गाता हूं, इसे आज भी लखनऊ में साहित्य जगत और प्रबुद्ध वर्ग के बीच गाते हुए पाया जा सकता है।
वक्ताओं की कड़ी में सुधाम चंद चंदवानी ने सिंधी भाषा को राजभाषा का दर्जा देने के समय अटल जी के द्वारा दिये गये भाषण का सार प्रस्तुत कर कहा कि अटल जी हिन्दी को मां और सिंधी भाषा को मौसी मानते थे। सिंधी भाषा के लिए उन्होंने कार्ययोजना बनवायी थी। कनिका गुरूनानी ने कहा कि अटल जी बहुत अच्छे वक्ता होने के साथ साथ बहुत हाजिर जवाब थे। अपने सम्बोधन से वह सबकों मंत्र-मुग्ध कर देते थे। कनिका ने संगोष्ठी में अटल जी के लखनऊ में बोले सुने जाने वाले कई प्रसंगों को सुनाया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सिंधी अकादमी के निवर्तमान उपाध्यक्ष नानक चन्द लखमानी ने कहा कि अटल बिहारी बाजपेयी ने लखनऊ में कदम रखा तो यहां की जनता ने उन्हें अपना प्रतिनिधि बनाकर लोकसभा में भेजा। इसके बाद जनता ने अपने नेता अटल जी को कभी निराश नहीं किया। अटल जी प्रत्येक कार्यकर्ता को अपने ध्यान रखते थे और इसमें एक नाम नानक का भी शामिल हुआ। संगोष्ठी में उपस्थित रहे डाॅ.अनिल चंदानी सहित तमाम वक्ताओं ने अटल जी के चित्र पर पुष्प अर्पित किये।
हिन्दुस्थान समाचार / श.चन्द्र