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संजीव
पाकिस्तानी वायु सेना के लड़ाकू विमानों की 24 दिसंबर की रात अफगानिस्तान के पूर्वी पाकटीका प्रांत में एयर स्ट्राइक के बाद दोनों देशों के बीच रिश्तों की कड़वाहट लगातार बढ़ रही है। पाकिस्तान ने लड़ाकू विमानों से अफगानिस्तान में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के 4 आतंकी ठिकानों पर बम बरसाने का दावा किया है। पाकिस्तान का आरोप है कि टीटीपी कमांडर शेर जमान, कमांडर अबू हमजा, कमांडर अख्तर मुहम्मद और टीटीपी का मीडिया संगठन उमर मीडिया इन ठिकानों का इस्तेमाल कर रहा था। इस एयर स्ट्राइक से भड़की अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने पाकिस्तान के इस हमले में महिलाओं और बच्चे समेत 15 निर्दोष नागरिकों की जान जाने का दावा किया है। इतना ही नहीं, तालिबान संस्थापक मुल्ला उमर के बेटे और अफगान रक्षामंत्री मुल्ला याकूब ने इस हमले का करारा जवाब देने की पाकिस्तान को चेतावनी भी दे डाली है, जिससे पाकिस्तान-अफगान बॉर्डर पर भारी तनातनी है।
दुनिया को याद है कि इमरान खान की अगुवाई में पाकिस्तानी सरकार ने 15 अगस्त, 2021 को अफगानिस्तान में तालिबानी शासन की वापसी पर जिस तरह उसका ख़ैर मकदम किया था, उससे उम्मीद की जा रही थी कि आने वाले दिनों में दोनों देशों का गठजोड़ आतंक का नया मोर्चा साबित होगा। खासतौर पर भारत इसे लेकर सतर्क था। पाकिस्तान इस उम्मीद के साथ अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के साथ खड़ा था कि नया निजाम तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) को नियंत्रित कर लेगा, लेकिन हुआ इसके उलट। अफगानिस्तान ने टीटीपी और पाकिस्तान के मसले से साफ हाथ झाड़ लिया। हालांकि, पाकिस्तान का आरोप रहा है कि अफगानिस्तान सरकार की पनाह और समर्थन से टीटीपी पाकिस्तान के भीतर लगातार आतंकी हमलों को अंजाम दे रहा है। अफगानिस्तान में तालिबान के काबिज होने के बाद पाकिस्तान में टीटीपी की एक्टिविटी बढ़ गई है। बीते दो साल में खैबर पख्तूनख्वाह और बलूचिस्तान में आतंकी घटनाएं ज्यादा बढ़ी हैं। इसकी वजह ये है कि ये अफगानिस्तान बॉर्डर के ज्यादा पास हैं। हालत यह है कि इस साल नवंबर तक टीटीपी पाकिस्तान के दो बड़े प्रांत खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में 785 हमलों को अंजाम दे चुका है। इन हमलों में पाकिस्तानी सेना के 951 फौजियों की मौत हो गई, जबकि 966 लोग जख्मी हुए।
टीटीपी के इन तमाम हमलों से पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार और सेना की खासी फजीहत हुई, क्योंकि पाकिस्तान की सेना पहले ही सीपैक, बलूचिस्तान में बगावत और इमरान खान के समर्थकों से निबटने में बुरी तरह विफल रही है, लेकिन टीटीपी ने हाल ही में जब वजीरिस्तान के मकीन में पाकिस्तान के 30 फौजियों को मार गिराया, तो उसने पाकिस्तानी सेना को टीटीपी के खिलाफ कदम उठाने के लिए मजबूर कर दिया। अगर पाकिस्तान ने 24 दिसंबर को एयर स्ट्राइक न की होती तो आर्मी चीफ आसिम मुनीर के लिए अपनी सेना का मनोबल बनाए रख पाना मुश्किल था। हालांकि, आर्मी चीफ को अंदाजा रहा होगा कि अफगानिस्तान में एयर स्ट्राइक उसके लिए बंद अंधेरी सुरंग में घुसने जैसा है, जिससे गुजरकर दुनिया की दो सुपर पावर रूस और अमेरिका की फौजें शिकस्त खा चुकी हैं। पाकिस्तान की फौजी ताकत और संसाधन, रूस व अमेरिका के मुकाबले क्या हैं, यह सभी को पता है।
अफगान तालिबान से अलग टीटीपी तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान यानी टीटीपी को पाकिस्तानी तालिबान भी कहते हैं। इसका मकसद पाकिस्तान में इस्लामी शासन लाना है। अगस्त, 2008 में पाकिस्तानी सरकार ने टीटीपी को बैन कर दिया था, लेकिन इसकी गतिविधियों को रोक पाने में विफल रहा। हमलों की फेहरिस्त देखें तो साल 2008 में इस्लामाबाद के मैरियट होटल और साल 2009 में सेना मुख्यालय पर टीटीपी की तरफ से हमला किया गया था। 2012 में मलाला युसुफजई को निशाना बनाने पर पूरी दुनिया का ध्यान इस संगठन की ओर गया। इसी आतंकी संगठन ने टीटी 2014 में सबसे बर्बर और वीभत्स हमले को अंजाम दिया, जिसमें पेशावर के सैनिक स्कूल में 150 लोगों मार दिया, जिसमें ज्यादातर स्कूली बच्चे थे।
नवंबर, 2021 में पाकिस्तान की सरकार और टीटीपी के बीच सीजफायर समझौता भी हुआ, जिसमें टीटीपी ने उसके समर्थकों को जेल से रिहा करने की मांग की थी। साथ ही कबायली इलाकों से पाकिस्तानी सुरक्षाबलों को हटाने की मांग की गई, लेकिन यह समझौता महीने भर बाद ही टूट गया। इसके बाद एक साल तक सरकार और टीटीपी के बीच बातचीत होती रही और कोई समझौता न होने पर टीटीपी ने फरमान जारी कर दिया कि पाकिस्तान में जहां भी संभव हो, उसके लड़ाके हमला करें।
(लेखक, हिन्दुस्थान समाचार से संबद्ध हैं।)
हिन्दुस्थान समाचार / संजीव पाश