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जयपुर, 25 दिसंबर (हि.स.)। राजधानी में अंग्रेजी नर्व वर्ष की पूर्व संध्या पर 31 दिसंबर को एक बार फिर नव वर्ष की शुरुआत दारू नहीं दूध के साथ महाभियान के अंतर्गत सैंकड़ों स्थानों पर गुनगुना दूध पिलाया जाएगा। कहीं तो दूध के साथ जलेबी भी खिलाई जाएगी। विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं की ओर से आयोजित दूध महोत्सव को जयपुर डेयरी और लॉटस डेयरी का पूरा सहयोग मिलेगा। मुख्य आयोजन राजस्थान विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर होगा। चूंकि यह कार्यक्रम अब पौषबड़ा महोत्सव की राजधानी के हर चौराहे पर होगा।
उल्लेखनीय है कि इंडियन अस्थमा केयर सोसायटी ने 21 साल पहले राजस्थान विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर 500 लीटर दूध से इस कार्यक्रम की शुरुआत की थी। अब 31 दिसंबर को यहां 8000 लीटर दूध पिलाया जाता है। इंडियन अस्थमा केयर सोसायटी के सचिव धर्मवीर कटेवा ने बताया कि 2003 में दूध पिलाने का कार्यक्रम शुरू किया गया था। कटेवा ने बताया कि 21 साल पहले देखा था कि नए साल की पूर्व संध्या पर हमारी नौजवान पीढ़ी को ऐसा लगता था कि बिना शराब पिए और बिना हुड़दंग किए नए साल का सूरज नहीं उगेगा। इसलिए हमने सोचा कि ऐसा क्या किया जाए, जिससे युवा शक्ति शराब नहीं पीकर समाज के प्रति उत्तरदायित्व का भाव लाए, माता-पिता का कहना माने। इसलिए हमने दूध पिलाने का कार्यक्रम शुरू किया। दूध पिलाने के कार्यक्रम की थीम यह है कि शराब नहीं दूध के साथ करें नव वर्ष की शुरुआत। युवाओं में परिवर्तन देखने को मिला है। कार्यक्रम से सभी को संदेश मिला है कि नए साल की शुरुआत दारू से नहीं, दूध से करनी चाहिए। सरकार को भी इस पर ध्यान देना चाहिए।
31 दिसंबर-01 जनवरी हो ड्राई डे: गोविंद देवजी मंदिर के सेवाधिकारी मानस गोस्वामी एक कदम आगे की सोचते हैं। उनका कहना है कि राज्य सरकार 31 दिसंबर और 01 जनवरी को ड्राई डे घोषित करें। शराब से मिलने वाले राजस्व का मोह त्यागे। इन दो दिन में पुलिस प्रशासन को कानून व्यवस्था को संभालने के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ती है। लोग शराब पीकर हुड़दंग मचाने के लिए तेज गति से गाड़ी दौड़ाते है। खुद मरते है और दूसरों को मारते हैं। तमाम प्रयासों के बावजूद हर साल ऐसे कांड होते हंै। इस पर रोक लगाने का एक ही उपाय है कि दोनों दिन ड्राई डे घोषित कर दिए जाएं।
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हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश