ईपीएफओ ने अक्टूबर महीने में 13.41 लाख सदस्य जोड़े 
नई दिल्ली, 25 दिसंबर (हि.स.)। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने अक्टूबर महीने में शुद्ध रूप से 13.41 लाख सदस्‍य जोड़े हैं। इस दौरान ईपीएफओ ने अपने साथ 7.50 लाख नए सदस्‍यों को जोड़े हैं। यह रोजगार के अवसरों में वृद्धि और कर्मचारी लाभों के बारे मे
ईपीएफओ के लोगो का प्रतीकात्मक चित्र


नई दिल्ली, 25 दिसंबर (हि.स.)। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने अक्टूबर महीने में शुद्ध रूप से 13.41 लाख सदस्‍य जोड़े हैं। इस दौरान ईपीएफओ ने अपने साथ 7.50 लाख नए सदस्‍यों को जोड़े हैं। यह रोजगार के अवसरों में वृद्धि और कर्मचारी लाभों के बारे में बढ़ती जागरूकता को दर्शाता है।

श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने बुधवार को जारी एक बयान में कहा कि ईपीएफओ ने अक्टूबर 2024 में नेट 13.41 लाख सदस्‍यों को जोड़ा है। इस दौरान ईपीएफओ से 7.50 लाख नए सदस्‍य जुड़े हैं। ईपीएफओ के जारी आंकड़ों के मुताबिक इस अवधि में 18-25 आयु वर्ग के जोड़े गए कुल नए सदस्‍यों की संख्‍या 5.43 लाख है। आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर के दौरान 18-25 आयु वर्ग का दबदबा रहा है, जो अक्टूबर 2024 में जोड़े गए कुल नए सदस्यों का 58.49 फीसदी है।

ईपीएफओ के अक्टूबर 2024 के लिए जारी आंकड़ों से चलता है कि लगभग 12.90 लाख सदस्य ईपीएफओ से बाहर निकल गए और बाद में फिर से जुड़ गए। इस दौरान जोड़े गए नए सदस्यों में से करीब 2.09 लाख नई महिला सदस्य हैं। ये आंकड़ा अक्टूबर 2023 की तुलना में 2.12 फीसदी की साल-दर-साल वृद्धि को दर्शाता है। हालांकि, अक्‍टूबर महीने के दौरान शुद्ध महिला सदस्य जुड़ाव करीब 2.79 लाख रहा, जो महिला सदस्यों में वृद्धि अधिक समावेशी और विविध कार्यबल की ओर व्यापक बदलाव का संकेत है।

मंत्रालय ने कहा कि ईपीएफओ के जारी पेरोल डेटा के राज्यवार विश्लेषण से पता चलता है कि टॉप 5 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में शुद्ध सदस्य वृद्धि कुल सदस्य वृद्धि का करीब 61.32 फीसदी है, जो अक्‍टूबर के दौरान कुल मिलाकर लगभग 8.22 लाख शुद्ध सदस्‍य जोड़े हैं। इन राज्यों में महाराष्ट्र ने 22.18 फीसदी शुद्ध सदस्यों को जोड़कर सबसे आगे रहा। इसके साथ ही महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, दिल्ली, हरियाणा, तेलंगाना और गुजरात जैसे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने अक्‍टूबर के दौरान कुल 5 फीसदी से अधिक शुद्ध सदस्यों का जोड़ने का योगदान दिया है।

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हिन्दुस्थान समाचार / प्रजेश शंकर