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नई दिल्ली, 23 दिसंबर (हि.स.)। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली आबकारी घोटाला मामले से जुड़े मनी लांड्रिंग के मामले में दस्तावेज देने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका की इलेक्ट्रॉनिक प्रति आरोपितों को उपलब्ध कराने की अनुमति दे दी है। जस्टिस मनोज कुमार ओहरी की बेंच ने कहा कि सभी आरोपितों को 1500 पेजों की याचिका की प्रति उपलब्ध कराने में करीब तीन लाख रुपये का खर्च आएगा जोकि सार्वजनिक धन से जाएगा।
कोर्ट ने ये साफ किया कि अगर कोई आरोपित याचिका की हार्ड कॉपी उपलब्ध कराने की मांग करेगा तो कोर्ट उस पर विचार करेगा। इसके पहले हाई कोर्ट ने 4 दिसंबर को ईडी की याचिका पर दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया समेत दूसरे आरोपितों को नोटिस जारी किया था। इस याचिका पर 30 जनवरी को सुनवाई होनी है।
बता दें कि 2 सितंबर को राऊज एवेन्यू कोर्ट ने ईडी को निर्देश दिया था कि वो आरोपितों को दस्तावेज उपलब्ध कराए। हाई कोर्ट ने ईडी की याचिका पर केजरीवाल, सिसोदिया के अलावा आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह, बीआरएस की नेता के कविता समेत 40 आरोपितों को नोटिस जारी किया है। सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट को सूचित किया गया कि इस मामले पर ट्रायल कोर्ट में अगली सुनवाई 21 दिसंबर को होनी है।
मनी लांड्रिंग के मामले में 10 जुलाई को कोर्ट ने ईडी के चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए केजरीवाल को समन जारी किया था। 17 मई को ईडी ने सातवीं पूरक चार्जशीट दाखिल किया था जिसमें आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल को आरोपी बनाया गया है।
ईडी ने 21 मार्च को देर शाम को अरविंद केजरीवाल को पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया था। 10 मई को सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को 1 जून तक की अंतरिम जमानत दी थी जिसके बाद केजरीवाल ने 2 जून को सरेंडर किया था। केजरीवाल को 26 जून को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। सुप्रीम कोर्ट ने 13 सितंबर को केजरीवाल को सीबीआई के मामले में नियमित जमानत दी थी। उसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने 12 जुलाई को ईडी के मामले में केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी थी।
हिन्दुस्थान समाचार/संजय
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हिन्दुस्थान समाचार / प्रभात मिश्रा