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नैनीताल, 21 दिसंबर (हि.स.)। हाईकोर्ट ने विकासनगर में वन भूमि पर अतिक्रमण करने व उसे खुर्द-बुर्द करने के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद याचिकाकर्ता को तीन सप्ताह के भीतर संबंधित डीएफओ को प्रत्यावेदन देने को कहा है। साथ ही डीएफओ को क्षेत्र का निरीक्षण कर छह माह में उचित कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी एवं न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार देहरादून निवासी विकेश नेगी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि उसके संज्ञान में आया है कि विकासनगर के क्यारकुली भट्टा, चालंग, अम्बारी, डांडा जंगल, रूद्रपुर आदि गांवों में धोखाधड़ी से वन भूमि को हड़पकर उसे खुर्द-बुर्द किया जा रहा है। साथ ही वनों को भी काटा जा रहा है। उत्तर प्रदेश जमींदारी उन्मूलन और भूमि सुधार अधिनियम 1950 के तहत इस भूमि को बेचा या खरीदा नहीं जा सकता है। अधिनियम में कहा गया है कि सरकार और गांव समाज की वन भूमि को किसी भी रूप में हस्तांतरित या बेचा नहीं जा सकता है। इसे वन संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के खिलाफ बताया गया है। याचिकाकर्ता ने कहा कि 20 सितंबर 2024 को इस मामले में मुख्यमंत्री, वन मंत्री को प्रत्यावेदन सौंपने के अलावा इस मामले को मुख्य वन संरक्षक के संज्ञान में भी लाया गया, लेकिन इस पर कोई कार्यवाही नहीं की गई।
हिन्दुस्थान समाचार / लता