Enter your Email Address to subscribe to our newsletters
-शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने की रुद्रप्रयाग स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर में पूजा-अर्चनारुद्रप्रयाग, 21 दिसम्बर (हि.स.)।ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने कहा कि शीतकालीन यात्रा में ग्रीष्मकालीन यात्रा से ज्यादा पुण्य प्राप्त करने के अवसर हैं। ग्रीष्मकाल में अत्यधिक भीड़भाग के चलते लोगों को पूजा करने का वैसा अवसर नहीं मिल पाता है। इसलिए शीतकाल में अधिक से अधिक लोग चारधामों के शीतकालीन पड़ावों की ओर आएं और दर्शन करें।
गंगोत्री, यमुनोत्री, बदरीनाथ और केदारनाथ के शीतकालीन पड़ावों में शीतकालीन यात्रा कर लौटते समय ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने रुद्रप्रयाग में पत्रकारों से वार्ता करते हुए यह बातेें कही।
शंकराचार्य ने कहा कि शीतकालीन यात्रा हमारी प्राचीन परम्परा है। हम चारधामों में नियमित पूजा करते आ रहे हैं। जब शीतकाल बढ़ता है या ग्रीष्मकाल आता है तो हमारी परिस्थितियां अलग हो जाती है। इसीलिए हमारे ग्रीष्मकालीन पूजा के स्थान अलग जगह पर बने है और शीतकालीन पूजा के स्थान अलग जगह पर बने है। ठीक उसी प्रकार जिस तरह हमारी प्रदेश की राजधानी दो स्थानों पर संचालित होती है। एक राजधानी शीतकाल की है और एक ग्रीष्मकालीन की है। सरकार जब शीतकाल और ग्रीष्मकाल में यहां बैठकर निर्णय लेती है तो सरकार वही रहती है निर्णय वैसे ही रहते हैं, केवल स्थान बदल जाते हैं। उसी तरह से हमारे भगवान वही हैं।
उन्होंने कहा कि ग्रीष्मकाल की जगह पर बैठकर पूजा प्राप्त करें या शीतकाल के स्थान पर बैठकर पूजा प्राप्त करें। ये बात धीरे-धीरे लोगों के विस्मृति में चली जा रही थी। देशभर में लोग समझते हैं कि कपाट बंद होने का अर्थ यह है कि अब पहाड़ों में ठंड बहुत हो जाएगी, यहां जाना मुश्किल है। जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है। इसी अर्थ के चलते लोग शीतकालीन दर्शन से वंचित हो जाते हैं।
शंकराचार्य ने कहा कि वे स्वयं लोगों को संदेश देने के लिए शीतकालीन यात्रा पर आएं हैं ताकि शीतकालीन यात्रा का प्रचार प्रसार हो सके। उन्होंने कहा कि धार्मिक रूप से यात्रा की व्यवस्थाएं करना संबंधित मंदिर समिति, हक-हकूकधारी, वेदपाठी, स्थानीय पुरोहितों और धर्मावल्बियों का काम है, जबकि अन्य सभी व्यवस्थाएं करना सरकार और प्रशासन का काम हैं। सभी के प्रयासों से शीतकालीन यात्रा बेहतर संचालित होगी।
उन्होंने कहा कि शीतकालीन यात्रा में ग्रीष्मकालकालीन यात्रा से अधिक पुण्य अर्जित करने का अवसर मिलता है। चूंकि ग्रीष्मकाल में अधिक यात्री होने से पूजा पाठ का बेहतर अवसर नहीं मिल पाता है। कहा कि कई वर्षो के बाद हमने यह यात्रा की है। उन्होंने कहा कि बहुत लोग यात्रा पर आएंगे। कहा कि आने वाले सालों में शीतकालीन यात्रा गर्मियों जैसे चलेगी। कहा कि सरकार हमसे जो भी धार्मिक सलाह मांगी थी, वह हमने दे दी है। पर्यटन और तीर्थाटन अलग विषय है। दोनों कारण से लोग उत्तराखंड आते हैं। दोनों को उनके अनुसार सुविधाएं दी जानी चाहिए। इससे पहले उन्होंने मुख्य बजार में हनुमान मंदिर और गुलाबराय में हनुमान मंदिर में दर्शन किए। साथ ही स्थानीय भक्तों ने गर्मजोशी से उनका स्वागत किया।
इस मौके पर चारधाम महापंचायत के सचिव डा. बृजेश सती, पूर्व नपा अध्यक्ष राकेश नौटियाल, श्यामलाल सुंदरियाल, रेखा सेमवाल, शकुंतला नौटियाल, आचार्य दीपक नौटियाल, पूर्व सभासद लक्ष्मण कप्रवान, सचिदानंद नौटियाल, यमुनोत्री के रावल अनिरद्ध प्रसाद उनियाल, ब्रह्मकपाल तीर्थपुरोहित के अध्यक्ष उमेश सती, ब्रह्मचारी मुकुदानंद, भगवाताचार्य रोहित गोपाल, योगेश्वर खंडूरी, राकेश नौटियाल, गोपी पोखरियाल सहित सैकडो भक्त मौजूद थे।
हिन्दुस्थान समाचार / राजेश कुमार