वाराणसी से हजारों बिजली कर्मी लखनऊ जाएंगे,विशाल बिजली पंचायत में होंगे शामिल
बिजली के निजीकरण के विरोध में रविवार को लखनऊ में बिजली पंचायत वाराणसी,21 दिसम्बर (हि.स.)। बिजली विभाग के निजीकरण के विरोध में रविवार को प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कर्मचारी संगठन बिजली पंचायत करेंगे। पंचायत में भाग लेने के लिए सैकड़ों कर्मी संगठन
वाराणसी से हजारों बिजली कर्मी लखनऊ जाएंगे,विशाल बिजली पंचायत में होंगे शामिल


बिजली के निजीकरण के विरोध में रविवार को लखनऊ में बिजली पंचायत

वाराणसी,21 दिसम्बर (हि.स.)। बिजली विभाग के निजीकरण के विरोध में रविवार को प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कर्मचारी संगठन बिजली पंचायत करेंगे। पंचायत में भाग लेने के लिए सैकड़ों कर्मी संगठन के नेताओं के साथ शनिवार शाम को ही लखनऊ रवाना हो गए। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र के आह्वान पर बिजली कर्मचारियों, अभियन्ताओं, संविदा कर्मियों के साथ किसान और आम उपभोक्ता भी पंचायत में शामिल होंगे। संघर्ष समिति के प्रमुख पदाधिकारियों के अनुसार बिजली पंचायत राणा प्रताप मार्ग स्थित हाईडिल फील्ड हॉस्टल में मध्याह्न 12ः00 बजे प्रारम्भ हो जायेगी।

बिजली पंचायत में प्रदेश के समस्त जनपदों एवं परियोजनाओं के कर्मचारी, अभियन्ता और संविदा कर्मियों की भांति बनारस के हजारों बिजलीकर्मी के अलावा बड़ी संख्या में किसान और आम बिजली उपभोक्ता सम्मिलित होंगे। बिजली के निजीकरण को लेकर कर्मचारियों और अधिकारियों सहित आम जनमानस में भी बहुत ज्यादा रोष व्याप्त है। ऊर्जा प्रबन्धन गलत आंकड़े देकर सरकार को गुमराह कर अपने फायदे के लिए निजीकरण का घिनौना कार्य करने पर तुला है। बिजली पंचायत में ऑल इण्डिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन के सेक्रेटरी जनरल पी रत्नाकर राव, ऑल इण्डिया पॉवर डिप्लोमा इंजीनियर्स फेडरेशन के अध्यक्ष आर के त्रिवेदी, इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लाईज फेडरेशन ऑफ इण्डिया के सेक्रेटरी जनरल प्रशान्त चौधरी, ऑल इण्डिया फेडरेशन ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लाईज के सेक्रेटरी जनरल मोहन शर्मा एवं अखिल भारतीय राज्य कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष सुभाष लांबा विशेष तौर पर सम्मिलित होंगे। संघर्ष समिति ने प्रबन्धन पर आरोप लगाया है कि जब फील्ड के बिजली कर्मी और अभियन्ता एक मुश्त समाधान योजना में पूरी निष्ठा से लगे हुए हैं। तब पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबन्ध निदेशक द्वारा एक मुश्त समाधान योजना के नाम पर की जा रही वीडियो कॉफ्रेंसिंग में अभियन्ताओं को कार्यालय समय के उपरान्त अथवा अवकाश के दिन संघर्ष समिति की बैठकों में जाने पर धमकी दी जा रही है । जो अत्यधिक अशोभनीय और निन्दनीय है। संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने चेतावनी दी कि यदि प्रबन्ध निदेशक भाषा की मर्यादा का पालन नहीं करेंगे तो संघर्ष समिति उनके विरूद्ध कार्यवाही करने के लिए विवश होगी। जिसमें विधिक कार्यवाही भी सम्मिलित है, बाध्य होगी जिसकी सारी जिम्मेदारी पूर्वांचल के प्रबन्ध निदेशक की होगी।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी