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कोलकाता, 21 दिसंबर (हि. स.)। उत्तर बंगाल के दार्जिलिंग, कलिम्पोंग और कर्सियांग के पहाड़ी इलाकों में स्थायी राजनीतिक समाधान के लिए अगले महीने संभावित एक और बैठक की तैयारी शुरू हो गई है। हालांकि, इस बैठक में अनीत थापा की पार्टी, भारतीय गोरखा प्रजातांत्रिक मोर्चा (बीजीपीएम), की भागीदारी को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है।
भारतीय जनता पार्टी के दार्जिलिंग से दो बार के सांसद राजू बिष्ट, जिन्हें इस बैठक के आयोजन के लिए समन्वयक नियुक्त किया गया है, बीजीपीएम को बैठक में आमंत्रित करने के खिलाफ हैं। बीजीपीएम का लंबे समय से तृणमूल कांग्रेस के साथ राजनीतिक गठबंधन है और यह गोरखालैंड टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन (जीटीए) की नियंत्रक पार्टी है।
भाजपा का मानना है कि जीटीए पहाड़ियों में राजनीतिक संकट का स्थायी समाधान नहीं हो सकता। इस संदर्भ में, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में दार्जिलिंग जिले के सिलीगुड़ी में सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के 61वें स्थापना दिवस के कार्यक्रम के दौरान राजू बिष्ट को इस त्रिपक्षीय बैठक के समन्वय का कार्य सौंपा था।
दूसरी ओर, दार्जिलिंग में तृणमूल कांग्रेस के नेताओं, जिसमें सिलीगुड़ी नगर निगम के मेयर गौतम देब भी शामिल हैं, का कहना है कि जीटीए की नियंत्रक पार्टी के बिना किसी भी बैठक से ठोस परिणाम प्राप्त नहीं किया जा सकता। देब ने कहा कि यह स्थायी राजनीतिक समाधान प्राप्त करने की दिशा में और अधिक अनिश्चितता पैदा करेगा।
तृणमूल कांग्रेस ने यह भी आपत्ति जताई है कि इस बैठक के समन्वय का कार्य भाजपा सांसद राजू बिष्ट को दिया गया है। पार्टी का कहना है कि ऐसी बैठक केंद्र सरकार द्वारा बुलाई जानी चाहिए, जिसमें अन्य दो पक्ष राज्य सरकार और जीटीए की नियंत्रक पार्टी हो।
हालांकि, भाजपा का तर्क है कि चूंकि बीजीपीएम अब तक एक मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल नहीं है, इसलिए उसे इस प्रस्तावित बैठक में आमंत्रित करने का कोई औचित्य नहीं है। दार्जिलिंग की पहाड़ियों में राजनीतिक समाधान को लेकर यह ताजा विवाद क्षेत्र में अनिश्चितता को और बढ़ा सकता है।
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर