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- ‘भारत वन स्थिति रिपोर्ट- 2023’ जारी
भोपाल, 21 दिसम्बर (हि.स.)। केन्द्र सरकार द्वारा जारी की गई ‘भारत वन स्थिति रिपोर्ट- 2023’ के अनुसार मध्य प्रदेश ने एक बार फिर देश में सर्वाधिक वन और वृक्ष आवरण वाले राज्य का स्थान बरकरार रखा है। राज्य का कुल वन और वृक्ष आवरण 85,724 वर्ग किलोमीटर है, जो देश में सबसे अधिक है। इसके साथ ही वनावरण क्षेत्र 77,073 वर्ग किलोमीटर के साथ मध्य प्रदेश अग्रणी है।
जनसम्पर्क अधिकारी केके जोशी ने शनिवार को बताया कि केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने आज वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून में ‘भारत वन स्थिति रिपोर्ट- 2023’ (ISFR 2023) का विमोचन किया। यह रिपोर्ट भारतीय वन सर्वेक्षण (FSI) द्वारा जारी की जाती है, जो उपग्रह आंकड़ों और फील्ड इन्वेंट्री के माध्यम से देश के वन और वृक्ष संसाधनों का व्यापक आंकलन करती है।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत का कुल वन और वृक्ष आवरण 8,27,357 वर्ग किलोमीटर है, जो देश के 25.17% भौगोलिक क्षेत्र को कवर करता है। इसमें वनावरण का क्षेत्रफल 7,15,343 वर्ग किलोमीटर (21.76%) और वृक्ष आवरण का क्षेत्रफल 1,12,014 वर्ग किलोमीटर (3.41%) है। वर्ष- 2021 की तुलना में वन और वृक्ष आवरण में 1,445 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि दर्ज की गई है, जिसमें वनावरण में 156 वर्ग किलोमीटर और वृक्ष आवरण में 1,289 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि शामिल है।
क्षेत्रफल के आधार पर सर्वाधिक वन और वृक्ष आवरण वाले राज्यों में मध्य प्रदेश (85,724 वर्ग किलोमीटर), अरुणाचल प्रदेश (67,083 वर्ग किलोमीटर) और महाराष्ट्र (65,383 वर्ग किलोमीटर) शामिल हैं। वनावरण के संदर्भ में भी मध्यप्रदेश (77,073 वर्ग किलोमीटर), अरुणाचल प्रदेश (65,882 वर्ग किलोमीटर) और छत्तीसगढ़ (55,812 वर्ग किलोमीटर) शीर्ष पर हैं।
रिपोर्ट के अनुसार भारत का कुल कच्छ वनस्पति आवरण 4,992 वर्ग किलोमीटर है। वहीं, बांस धारित क्षेत्र 1,54,670 वर्ग किलोमीटर तक विस्तारित हुआ है, जिसमें पिछले आंकलन की तुलना में 5,227 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि दर्ज की गई है। बाहय वन वृक्षों से औद्योगिक काष्ठ का वार्षिक संभावित उत्पादन 91.51 मिलियन घन मीटर आंका गया है। कार्बन स्टॉक के संदर्भ में, भारत के वनों में कुल 7,285.5 मिलियन टन कार्बन स्टॉक का आकलन किया गया है, जो पिछले आंकलन की तुलना में 81.5 मिलियन टन की वृद्धि दर्शाता है। इसके अलावा, भारत का कार्बन स्टॉक 30.43 बिलियन टन CO₂ समतुल्य तक पहुंच चुका है, जो जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में एक महत्वपूर्ण कदम है।
हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर