कुम्भ में भूमि आवंटन - जहां पहले मिली थी जमीन, वहीं देने का दावा नहीं कर सकते : हाईकोर्ट
--क्रियायोग संस्थान की योग सत्संग समिति की याचिका निस्तारित--मेला प्राधिकरण को सात दिन में याची की अर्जी पर विचार करने का निर्देश प्रयागराज, 21 दिसम्बर (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि कुम्भ मेले में अतीत में मिली जमीन के आधार पर दाेबारा वही
इलाहाबाद हाईकाेर्ट्


--क्रियायोग संस्थान की योग सत्संग समिति की याचिका निस्तारित--मेला प्राधिकरण को सात दिन में याची की अर्जी पर विचार करने का निर्देश

प्रयागराज, 21 दिसम्बर (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि कुम्भ मेले में अतीत में मिली जमीन के आधार पर दाेबारा वहीं जमीन मिले कोई अपने अधिकार का दावा नहीं कर सकता।

न्यायमूर्ति शेखर बी सर्राफ तथा न्यायमूर्ति नंद प्रभा शुक्ला की खंडपीठ ने योग सत्संग समिति की याचिका निस्तारित करते हुए यह टिप्पणी की है। यह संस्था योगी सत्यम की है। हालांकि कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया, किंतु कहा है कि याची नए सिरे से आवेदन दे और अधिकारी उस पर सात दिन की अवधि के भीतर तर्कपूर्ण आदेश दें।

याची की तरफ से अधिवक्ता का कहना था कि भूमि आवंटित किए जाने का याची को निहित अधिकार है। इससे पहले वर्ष 2001, 2007 और 2013 के कुंभ में त्रिवेणी मार्ग व मुक्ति मार्ग चौराहे पर जमीन दी गई थी। 2019 मे अन्य जगह पर दी गई। याची ने आपत्ति भी नहीं की थी। सरकार और प्रयागराज मेला प्राधिकरण की तरफ से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि याची ने जहां भूमि मांगी है वह शंकराचार्यों, अखाड़ों एवं महामंडलेश्वरों को आवंटित की गई है। आवंटन में कोई भी बदलाव से समस्या आएगी। दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने कहा-हमारे विचार में, याची निहित अधिकार का दावा नहीं कर सकता। इस वर्ष का आयोजन स्पष्टतः पहले से भिन्न होगा।

कुंभ मेले का विस्तार होता रहता है। राज्य के अधिकारी भूमि आवंटन में सावधानी बरत रहे हैं। कोई भी संस्थान-संगठन यह कहते हुए निहित अधिकार का दावा नहीं कर सकता कि उसे पहले स्थान विशेष पर भूमि आवंटित की गई थी। याची ने वर्ष 2019 में अलग स्थान पर भूमि आवंटन को चुनौती नहीं दी थी। इस वर्ष भी याची को 50 हजार वर्ग फुट जमीन उपलब्ध कराई गई है।

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हिन्दुस्थान समाचार / रामानंद पांडे