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प्रयागराज, 21 दिसम्बर (हि.स.)। इलाहाबाद विश्वविद्यालय बनाम गीतांजलि तिवारी पांडे एवं अन्य सिविल अपील संख्या 12411/2024 को अंतिम रूप से निस्तारित करते हुए उच्चतम न्यायालय ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अपनायी जा रही शिक्षक भर्ती नीति को सही मानते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट की खंडपीठ द्वारा पारित आदेश 18 जनवरी, 2024 को खारिज कर दिया।
बता दे कि, गीतांजलि पांडेय एवं अन्य द्वारा इलाहाबाद विश्वविद्यालय में हो रही शिक्षक भर्ती में एपीआई अंक की गणना में अतिथि प्रवक्ता के तौर पर यूजीसी ग्रेड पे मानक से कम पे किये गए शिक्षण कार्य के अनुभव का प्रति वर्ष 2 अंको की मांग की गयी थी। जिस पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा अपनी विस्तृत रिपोर्ट और एक्सपर्ट समिति द्वारा की गई स्क्रीनिंग प्रक्रिया का हवाला देते हुए, यूजीसी ग्रेड पे से कम के वेतनमान पर किए गए कार्य को शैक्षिक कार्य अनुभव के रूप में स्वीकार नही किया गया था।
इस पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय की दलील को सही मानते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट की एकल पीठ ने गीतांजलि पांडेय एवं ब्रह्मदेव की याचिका को खारिज कर दिया था। परंतु फिर अभ्यर्थियों द्वारा हाइकोर्ट की डिवीज़न बेंच में इस आदेश को पुनः चैलेंज किया गया। जिस पर निर्णय इलाहाबाद विश्वविद्यालय के विरुद्ध 18 जनवरी, 2024 को पारित हुआ।
इविवि की पीआरओ प्रो जया कपूर ने शनिवार को बताया कि इसके विरुद्ध इलाहबाद विश्विद्यालय ने उच्चत्तम न्यायालय में अपील दाखिल करते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपने नीतिगत निर्णय तथा नीति का ब्योरा दिया, जिस पर बहस के उपरांत सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाइकोर्ट के खंडपीठ के निर्णय को खारिज कर दिया तथा इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा अपनायी गयी शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को सही मानते हुए, अपील को अपने आदेश 18 दिसम्बर, 24 से निस्तारित कर दिया।
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हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र