वीएनएसजीयू के युवा महोत्सव में सेल्फी विथ गौमाता के क्रेज ने जमाया रंग
-यूनिवर्सिटी में चल रहा 51वां लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर युवा महोत्सव -भावनगर की गिर प्रजाति की गाय के साथ सभी खिंचवा रहे फोटो सूरत, 20 दिसंबर (हि.स.)। वीर नर्मद दक्षिण गुजरात यूनिवर्सिटी (वीएनएसजीयू) में आयोजित 6 दिवसीय युवा महोत्सव में भावनगर से आ
गौमाता का पूजन करते यूनिवर्सिटी के कुलपति किशोरसिंह चावडा।


भावनगर से आई गिर के गाय के साथ सेल्फी लेती यूनिवर्सिटी की छात्रा।


-यूनिवर्सिटी में चल रहा 51वां लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर युवा महोत्सव

-भावनगर की गिर प्रजाति की गाय के साथ सभी खिंचवा रहे फोटो

सूरत, 20 दिसंबर (हि.स.)। वीर नर्मद दक्षिण गुजरात यूनिवर्सिटी (वीएनएसजीयू) में आयोजित 6 दिवसीय युवा महोत्सव में भावनगर से आई गिर की गाय सभी का ध्यान खींच रहीं हैं। विद्यार्थी से लेकर यूनिवर्सिटी के शिक्षक और कुलपति तक गौमाता के साथ सेल्फी खिंचवा रहे हैं। यूनिवर्सिटी ने इसके लिए खास सेल्फी विथ गौमाता के लिए प्वॉइंट बनवाया है, जो कि सभी के लिए आकर्षण का केन्द्र बन गया है।

वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय (वीएनएसजीयू) की ओर से इस वर्ष आयोजित 51वें लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर युवा महोत्सव का उद्घाटन 18 दिसंबर को हुआ था। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.किशोरसिंह एन चावड़ा ने गौपूजन कर इस महोत्सव का शुरुआत कराया था। महोत्सव का समापन 23 दिसंबर को होगा। कुलपति किशोरसिंह चावडा ने गिर गाय के विषय में बताया कि भावनगर के महाराजा ने 1950 के दशक में ब्राजील के किसान सेल्सो गार्सिया सिद को कृष्णा नाम की गिर गाय भेंट की थी। इसके बाद इस गिर गाय के ब्रीड से ब्राजील में दूध उत्पादन में उल्लेखनीय बढोतरी हुई। इसके अलावा गाय आधारित खेती से भी वहां की अर्थव्यवस्था में प्रगति हुई। हाल यूनिवर्सिटी में आई गाय इसी ब्रीड की है। इस गाय की विशेषता है कि यह जल्दी बीमार नहीं पड़ती और तंदुरुस्त रहती है। युवा महोत्सव में गौमाता के साथ सेल्फी के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। सेल्फी विथ गौमाता प्वॉइंट पर विद्यार्थी, प्रोफेसर और अधिकारी उत्साह के साथ भाग ले रहे हैं। यूनिवर्सिटी के लिए गौमाता के लिए खाने-पीने के साथ आरामदायक निवास की व्यवस्था की गई है। गौशाला के प्रमुख चेतनभाई अवकार गाय की देखरेख कर रहे हैं। यूनिवर्सिटी इस गाय के साथ अन्य 6 गाय को भी लाने की व्यवस्था कर रही है। इन गायों को नए प्रशासनिक बिल्डिंग के लिए निर्धारित जगह पर रखा जाएगा। तीन महीने तक गायों की सेवा करने के बाद यहां हवन-पूजन के बाद नई बिल्डिंग का शिलान्यास किया जाएगा। इस परंपरा के पीछे यूनिवर्सिटी का मानना है कि जमीन की शुद्धि के लिए यहां गाय रखा जाएगा। इसकी सलाह एक पुजारी ने दी है। यूनिवर्सिटी का मानना है कि गाय के आने से पॉजिटिव एनर्जी का संचार होगा।

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हिन्दुस्थान समाचार / बिनोद पाण्डेय