सियानी नदी बांध का विरोध जारी
इटानगर, 02 दिसंबर (हि.स.)। अरुणाचल प्रदेश के सियांग जिला के स्वदेशी किसान मंच (एसआईएफएफ) ने सोमवार को सियांग नदी पर प्रस्तावित सियांग अपर बहुउद्देशीय परियोजना (एसयूएमपी) के खिलाफ अपना रुख दोहराया। मुख्यमंत्री पेमा खांडू के
सियानी नदी बांध का विरोध जारी


इटानगर, 02 दिसंबर (हि.स.)। अरुणाचल प्रदेश के सियांग जिला के स्वदेशी किसान मंच (एसआईएफएफ)

ने सोमवार को सियांग नदी पर प्रस्तावित सियांग अपर बहुउद्देशीय

परियोजना (एसयूएमपी) के खिलाफ अपना रुख दोहराया।

मुख्यमंत्री पेमा

खांडू के हालिया सियांग नदी बांध पर दिये गये बयान के जवाब में, एसआईएफएफ के सदस्य टैगोरी मिज़ ने आज अरुणाचल प्रेस क्लब (एपीसी) में एक

संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा, मंत्रियों और विधायकों ने सर्वसम्मति से जल-विद्युत

परियोजना के निर्माण में तेजी लाने का समर्थन किया। प्रस्तावित एसयूएमपी के लिए

समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर से पहले राज्य सरकार को ग्रामीणों का विश्वास

लेना चाहिए।

मुख्यमंत्री पेमा

खांडू को पहले सियांग नदी पर प्रस्तावित बांध निर्माण की जमीनी हकीकत जाननी

चाहिए। मिज़े ने कहा, जबकि सियांग जिले

के वास्तविक भूमि प्रभावित निवासी अक्टूबर महीने से इसके विरोध में बैठे हैं, इसलिए राज्य सरकार को पहले निवासियों की शिकायतों पर ध्यान देने की जरूरत है।

मिज़ ने कहा, सियांग जिले के पारोंग गांव में ग्रामीण अभी भी 'बांध नहीं, हमारी धरती पर बांध के निर्माण पर कोई समझौता नहीं' की तख्तियां लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

जानकारी देते हुए, ग्रामीणों ने स्पष्ट कर दिया है कि वे बिजली डेवलपर नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक

पावर कॉरपोरेशन (एनएचपीसी) को 11,000

मेगावाट के सियांग बांध के प्रस्तावित निर्माण का

पूर्व-व्यवहार्यता सर्वेक्षण करने की अनुमति नहीं देंगे, उन्होंने कहा कि राजनीति के प्रभाव में जिला प्रशासन और निगम सियांग अपर

बहुउद्देशीय परियोजना के लिए ज़बरदस्ती सर्वेक्षण थोपने की कोशिश कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि

वास्तव में बांध के निर्माण के पूर्व सर्वेक्षण के लिए ग्रामीणों से कोई उचित

परामर्श नहीं लिया गया।यह कहते हुए कि

ग्रामीण अपने संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए विरोध कर रहे हैं, उन्होंने दावा किया कि ग्रामीण 2008 से बांध का

विरोध कर रहे ।

एसआईएफएफ ने घोषणा की सियांग नदी जैव

विविधता हॉटस्पॉट और ऐतिहासिक महत्व वाली सियांग घाटी में रहने वाले लोगों की जीवन

रेखा है, इसलिए सियांग के लोग किसी भी बिजली डेवलपर को सियांग बेल्ट

की समृद्ध संस्कृति को मिटाने की अनुमति नहीं देंगे।

आगे दावा करते

हुए कहा गया कि परियोजना जिला प्रशासन की सुविधा में राष्ट्रीय जल विद्युत निगम

(एनएचपीसी) को आवंटित की गई है, और अब वे एक सशक्त सर्वेक्षण करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन ग्रामीण अपने व्यक्तिगत कार्यों को छोड़कर कई महीनों से स्थान की रक्षा

कर रहे हैं।

वहीं मिज ने

राज्य सरकार एवं जिला प्रशासन को चुनौती दी कि वे बांध निर्माण के संबंध में गांव

में खुली चर्चा करें और ग्रामीणों एवं भूमि प्रभावित लोगों को बांध के बारे में

वास्तविक जानकारी दें।

हिन्दुस्थान समाचार / तागू निन्गी