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नई दिल्ली, 02 दिसंबर (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने कैश फॉर जॉब मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार तमिलनाडु के पूर्व मंत्री सेंथिल बालाजी को मिली जमानत को रद्द करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि कोर्ट जमानत देती है और अगले दिन जाकर मंत्री बन जाते हैं। जस्टिस एएस ओका की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि इससे किसी को भी यह समझ आ जाएगा कि इससे गवाहों पर दबाव बन सकता है। आखिर यह क्यों हो रहा है। कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार पर भी अपना रुख स्पष्ट करने को कहा। मामले की अगली सुनवाई 13 दिसंबर को होगी।
याचिका ट्रायल कोर्ट में शिकायतकर्ता के विद्या कुमार ने दायर किया है। याचिका में कहा गया है कि सेंथिल बालाजी को जमानत मिलने के तुरंत बाद उन्हें मंत्री बना दिया गया। जिसकी वजह से गवाहों पर प्रभाव और दवाब होगा और वह अपनी गवाही से मुकर सकते हैं। हालांकि कोर्ट ने कहा कि वो जमानत देने के आदेश को वापस नहीं लेगी क्योंकि इससे दूसरे लोगों को भी लाभ मिल सकता है। कोर्ट ने कहा कि इस याचिका पर वो नोटिस जारी नहीं कर रही है लेकिन वो सिर्फ इस दलील पर विचार करेगा जिसमें यह आशंका जताई गई है कि जमानत देने से क्या गवाह प्रभावित हो रहे हैं।
बालाजी को 14 जून 2023 को गिरफ्तार किया गया था। 12 अगस्त 2023 को बालाजी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किया गया था। बालाजी के खिलाफ तमिलनाडु राज्य परिवहन विभाग में बस कंडक्टरों की नियुक्ति के साथ-साथ ड्राइवरों और जूनियर इंजीनियरों की नियुक्ति में कथित अनियमितताओं से जुड़ा मामला है। ये सभी नियुक्तियां 2011 और 2015 के बीच सरकार में परिवहन मंत्री के रूप में बालाजी के कार्यकाल के दौरान की गईं।
हिन्दुस्थान समाचार/संजय
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हिन्दुस्थान समाचार / प्रभात मिश्रा