नववर्ष के लिए सजने लगे हैं चतरा के पिकनिक स्पॉट
चतरा, 2 दिसंबर (हि.स.)। चतरा में जंगल, पहाड़, नदी, झरना और तीर्थ स्थल सभी नववर्ष पर आगंतुकों के स्वागत के लिए तैयार हैं। जी हां, नव वर्ष 2025 के आगमन की तिथि अब महज 28 दिन बच गए हैं। इससे पहले अभी से ही नये वर्ष की उमंग, उल्लास एवं उत्साह बढ़ने लगी है
लेम्बोईया पहाड़ी मंदिर


चतरा, 2 दिसंबर (हि.स.)। चतरा में जंगल, पहाड़, नदी, झरना और तीर्थ स्थल सभी नववर्ष पर आगंतुकों के स्वागत के लिए तैयार हैं। जी हां, नव वर्ष 2025 के आगमन की तिथि अब महज 28 दिन बच गए हैं। इससे पहले अभी से ही नये वर्ष की उमंग, उल्लास एवं उत्साह बढ़ने लगी है। जंगलों, पहाड़ों, नदियों एवं झरनों की प्राकृतिक गोद से कोयल की कूक-कूक भरी मीठी कलरव लोगों को अभी से ही निमंत्रण देने लगी है।

पर्यटन स्थलों की प्राकृतिक सौंदर्य की आभा लोगों को अभी से ही अपनी ओर मंत्रमुग्ध कर रही है। प्राकृतिक छटा उनके बीच जंगली पक्षियों की कलरव सुनते ही बन रहा है। सभी ओर नव वर्ष की स्वागत और जश्न की तैयारियां जोरों पर है। युवा वर्ग जहां वनभोज की तैयारी में जुटा हैं, वहीं बुजुर्गों की टोली विभिन्न मठ-मंदिरों में मत्था टेककर नव वर्ष की शुरूआत करना चाहते हैं। इस वर्ष विशेष तौर पर पिकनिक स्पॉट पर लोग अभी से ही दिखने लगे हैं। बुढ़े, युवा, बच्चे, महिला व पुरुष सभी नव वर्ष के स्वागत और वनभोज की तैयारी कर रहे हैं। चतरा जिले के पत्थलगडा में कई पिकनिक स्पॉट हैं। जहां लोग परिवारों के साथ पहुंचकर वनभोज का आनंद उठाते हैं।

आकर्षण का केंद्र है लेंबोइया पहाड़ी, उमड़ती है भीड़

प्रखंड का प्रसिद्ध धार्मिक पर्यटन स्थल लेंबोइया पहाड़ी नए साल पर आगंतुकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहता है। यहां पत्थलगडा समेत दूर-दराज से लोग पहुंचते हैं और पिकनिक मनाते हैं। यहां मां दक्षिणेश्वरी देवी चामुंडा की पौराणिक प्रतिमा स्थापित है। यहां पहुंचने वाले आगंतुक मंदिर में मत्था टेकते हैं और नव वर्ष के मंगलमय जीवन यापन की कामना करते हैं। पहाड़ी से सटे पुरनिया बांध और पटना आहर के तराई में भी लोग नये साल पर पिकनिक मनाने के लिए जुटते हैं।

पुरनिया और कोराम्बे पहाड़ी की प्राकृतिक छटा करता है आकर्षित

प्रखंड मुख्यालय से दो किमी उत्तर दिशा में स्थित प्रखंड का पौराणिक स्थल पुरनिया पहाड़ और पूर्वी छोर पर स्थित कोराम्बे पहाड़ भी नए साल पर लोगों को नई उमंग देता है। पुरनिया पहाड़ के तराई में बजरंग वाटिका बनाई गई है। जहां लोग पुरे परिवार समेत पहुंचते हैं और वनभोज का लुत्फ उठाते हुए सैर सपाटा करते हैं। यहां का झरना लोगों को खुब लुभाता है। वही कोरांबे पहाड़ी की तलहटी में बहते झरनों की कलकल की धारा के बीच लोग नए साल में जश्न मनाने पहुंचते हैं। यहां वनभोज एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। यहां पहाड़ी के तलहटी में स्थापित बाबा भैरव स्थान लोगों के लिए आस्था का केंद्र होता है।

बुद्ध नदी में स्नान और वनभोज के लिए उमड़ती है हजारों की भीड़

प्रखंड के नावाडीह डमौल सीमाना पर स्थित बासुदेव मठ में भी नव वर्ष पर काफी भीड़ उमड़ती है। यहां बुद्ध नदी की बहती कलकल धारा के बीच लोग नए साल का उमंग और उत्साह मनाते हैं। नए साल पर यहां बुद्ध नदी में डुबकी लगाने के लिए हजारों की भीड़ उमड़ती है। लोग आस्था के साथ यहां डुबकी लगाकर स्नान करते हैं फिर बासुदेव मठ में मत्था टेककर विधिवत पूजा अर्चना कर नए वर्ष में सुख एवं समृद्धि की कामना करने लोग पहुंचते हैं। यहां वनभोज के लिए भी दूर दराज से लोगों का पहुंचना होता है। लोग गाजे बाजे के साथ यह नए साल पर जश्न मनाने पहुंचते हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / जितेन्द्र तिवारी