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कानपुर, 17 दिसंबर (हि.स.)। कानपुर में किशोरी को शादी का झांसा देकर कई दिनों तक दुष्कर्म करने वाले आरोपित को आखिरकार 10 साल के लंबे इंतजार के बाद कोर्ट ने दोषी करार दे दिया। कोर्ट ने अभियुक्त को सात साल की सजा सुनाई और 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। जुर्माने की रकम न भरे जाने पर अभियुक्त को अतिरिक्त एक माह की सजा का सामना करना पड़ेगा। कोर्ट के इस निर्णय के बाद पीड़िता के परिवार ने राहत की सांस ली है।
पुलिस द्वारा पैरवी न किए जाने के चलते कई सालों तक कोर्ट में केस पेंडिंग में पड़े रहते थे। जिस वजह से पीड़ित को इंसाफ मिलने में काफी समय लग जाता था। ऐसे में प्रदेश सरकार द्वारा जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाते हुए यूपी में ऑऑपरेशन कन्विक्शन की शुरुआत की गई जिसके अंतर्गत पुलिस कोर्ट में तेजी से केसों की पैरवी कर रही है।
दरअसल कानपुर कमिश्ननररेट बिठूर थाना अंतर्गत साल 2014 में एक युवक ने थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाते हुए शिकायत करी थी कि उसकी दसवीं में पढ़ने वाली 16 वर्षीय नाबालिग बहन को घर में अकेला पाकर गांव में ही रहने वाला विमल नाम का युवक शादी का झांसा देकर उसे बहला फुसलाकर घर में रखे 30 हजार रुपये और करीब 50 हजार रुपये के आभूषण समेत भगा ले गया था।
जब कई दिनों के बाद पीड़िता आरोपित के चंगुल से छूट कर वापस आई तो उसने बताया कि, आरोपी विमल उसे अगवा कर कन्नौज जिले के एक होटल में ले गया। जहां पर आठ दिनों तक उसके साथ गलत काम करता रहा किसी तरह से वह उसे चकमा देकर आई है। पीड़िता के बयान के बाद आरोपित को गिरफ्तार कर कोर्ट के समक्ष पेश किया गया। 10 साल के लंबे इंतजार के बाद एडीजे-22 अतिरिक्त विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट कोर्ट ने पुलिस की पैरवी से मंगलवार को आरोपित को दोषी मानते हुए सात साल की कैद और 10 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माना न अदा करने पर दोषी को एक माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी पड़ेगी। कोर्ट में सही पैरवी करने में एडीजीसी भावना गुप्ता, कोर्ट मोहर्रिर विनोद कुमार और पैरोकार जितेन्द्र सिंह की भी अहम भूमिका रही। यह जानकारी एडीसीपी पश्चिम विजयेन्द्र द्विवेदी ने दी।
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हिन्दुस्थान समाचार / अजय सिंह