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नई दिल्ली, 17 दिसंबर (हि.स.)। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को लोकसभा में कहा कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर 5.4 फीसदी रही है। यह आंकड़ा उम्मीद से कम है, लेकिन आने वाली तिमाहियों में इसमें सुधार होगा।
वित्त मंत्री ने लोकसभा में वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अनुदान की अनुपूरक मांगों पर अपने जवाब में कहा कि दूसरी तिमाही में वृद्धि की प्रवृत्ति एक अस्थायी झटका है और अगली तिमाहियों में अर्थव्यवस्था में बेहतर वृद्धि देखने को मिलेगी। सीतारमण ने कहा कि सरकार पूंजीगत व्यय के जरिए विकास को आगे बढ़ा रही है, ताकि अर्थव्यवस्था में इसके गुणक प्रभाव को फैलाया जा सके।
सीतारमण ने कहा कि दूसरी तिमाही भारत और दुनिया की अधिकांश अन्य अर्थव्यवस्थाओं के लिए चुनौतीपूर्ण रही है। पिछले तीन वर्षों में देश की जीडीपी वृद्धि औसतन 8.3 फीसदी रही है। वैश्विक मानकों के हिसाब से यह एक बेहतरीन संख्या है। वित्त वर्ष 2024-25 की अप्रैल-जून तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था 6.7 फीसदी और जुलाई-सितंबर अवधि में 5.4 फीसदी की दर से बढ़ी है। सीतारमण ने कहा कि दूसरी तिमाही में उम्मीद से कम 5.4 फीसदी की जीडीपी वृद्धि दर एक ‘‘अस्थायी झटका’’ है, लेकिन आने वाली तिमाहियों में अर्थव्यवस्था में अच्छी वृद्धि देखने को मिलेगी।
सीतारमण ने कहा कि भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है। उन्होंने कहा कि एनडीए शासन में इस पर बेहतर नियंत्रण है, जबकि यूपीए के शासन में यह दोहरे अंक को छू गई थी। विनिर्माण क्षेत्र में कोई सामान्य मंदी नहीं है, आधे विनिर्माण क्षेत्र मजबूत वृद्धि के संकेत दे रहे हैं। अप्रैल से अक्टूबर 2024-25 के दौरान खुदरा महंगाई 4.8 फीसदी रही, यह कोरोना महामारी के बाद सबसे कम है।
वित्त मंत्री ने कहा कि बेरोजगारी दर वित्त वर्ष 2017-18 में 6 फीसदी से घटकर अब 3.2 फीसदी हो गई है।
वित्त मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि प्रथम अनुपूरक मांग राशि पिछले वित्त वर्ष की तुलना में काफी कम है, जो बजट निर्माण के बजट अनुमान में अधिक सटीकता दर्शाती है। लोकसभा ने चर्चा के बाद करीब 87,762 करोड़ रुपये के सकल अतिरिक्त व्यय के लिए अनुदानों की अनुपूरक मांगों के पहले बैच के सरकार के प्रस्ताव को पारित कर दिया, जिसमें 44,123 करोड़ रुपये का शुद्ध नकद व्यय शामिल है।
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हिन्दुस्थान समाचार / प्रजेश शंकर